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________________ -आस्था की ओर बढ़ते कदम अध्ययन के वाद प्रभु महावीर का निर्माण हो गया। ऐसा इस अध्ययन की अंतिम गाधा व आचार्य भद्र वाहु रचित कल्प सूत्र में बताया गया है। इस ग्रंथ का विमोचन पंजाब के महामहिम राज्यपाल श्री जय सुखलाल हथी ने पंजावी विश्वविद्यालय, पटियाला में जैन चेयर के उद्घाटन समारोह में किया। इसकी समीक्षा दैनिम अजीत पंजावी में प्रकाशित हुई। उपासक दशांग सत्र- २ : हमारे द्वारा प्रकाशित श्री उपासक दशांग पंजाबी भाषा का सर्व प्रथम किसी अंग शास्त्र का पंजाबी अनुवाद है। काफी समय से मेरे मन में यह चितंन चल रहा था कि किसी ऐसे ग्रंथ का अनुवाद किया जाए जिसका संबंध श्रावक (उपासक) धर्म से संबंधित हो। मैंने अपने मन की बात अपने धर्म भ्राता रविन्द्र जैन से की। उन्होंने बडे लम्बे दिमः के बाद श्री उपासक दशांग सूत्र का पंजावी अनुवाद का सूझाव रखा। क्योंकि ४५ आगमों में यही मात्र ऐसा आगम है, जो श्रावक धर्म का प्ररूपण करता है। इसका स्थान अंग साहित्य में आता है। ज्यादा आगमों में मुनि चर्या का वर्णन है। वैसे श्वेताम्बर आगमों में श्रावकाचार पर विभिन्न ग्रंध, भिन्न भिन्न भाषाओं में मिलते। मैंने अपने धर्मभ्राता को इनका अध्ययन करने को कहा। इस अंग पर मात्र एक संस्कृत टीका आचार्य अभयदेव सूरि जी ने लिखी है। इस टीका की एक प्रति अंबाला में हमें स्व० आचार्य श्री विजय इन्द्रदिन्नसूरि जी महाराज से हिन्दी अनुवाद वाली प्राप्त हुई। मैंने इस टीका के अतिरिक्त आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज की हिन्दी टीका भी पढी। इस आगम में प्राचीन जैन श्रावकों के जीवन का सांस्कृतिक रहन सहन . का वर्णन मिलता है। 153
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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