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________________ आस्था की ओर बढ़ते कदम अध्ययन है। इस में प्रभु पार्श्वनाथ के शिष्य केशीश्रमण व प्रभु महावीर के शिष्य इन्द्रभूति गोतम के वार्तालाप का वर्णन है। इस में जिन कल्प व स्थविर कल्प का वर्णन है। भगवान महावीर ने इस माध्यम से अपना रिश्ता श्रमण भगवान पार्श्वनाथ व उनकी परम्परा से जोड़ा है। इस अध्ययन से हमें गणधर गोतम स्वामी के महान चारित्र का पता चलता है। इस अध्ययन में ८६ गाथाएं हैं। . २४वें अध्ययन का नाम प्रवचनमाता है। इस अध ययन में आट प्रवचन माता का वर्णन है जो माता की तरह साधु के पांच महाव्रत की रक्षा करती है। यह माताएं हैं ५ समिति व ३ गुप्ति। इन प्रवचन माता का पूत्र साधु समाज में आदर सत्कार पाता है। इस अध्ययन में २७ गाथाएं हैं। २५वें अध्ययन का नाम यज्ञीय है। इस में ब्राह्मण परम्परा के हिंसक यज्ञ का वर्णन है। इस अध्ययन में वेदों का मुख, यज्ञ का मुख, नक्षत्रों का मुख बताया गया है। इन्द्रिय निग्रह. राग-द्वेष, कषाय में मुक्ति का उपदेश दिया गया है। इस अध्ययन में कहा गया है "सभी वेद पशु वध का उपदेश और आधीन रखने की बात करते हैं। यज्ञ पाप का कारण है। वेद, यज्ञ पाठ करने वाला या यज्ञ करने वाले की रक्षा नहीं कर सकते क्यों कि कर्म बलवान है। २६वां अध्ययन का नाम समाचारी है। समाचारी साधु जीवन की व्यवस्था का नाम है। साधु जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। यह समाचारी साधु को संयमी जीवन के प्रति संगटित करती है। समाचारी साधुओं का संविधान है। जिस का पालन हर साधु के लिए जरूरी है। समाचारी में साधु की दैनिकचर्या का वर्णन है। इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि संयमी समाचारी का कैसे पालन करे। इस में साधु की शयन, वैटना, प्रमार्जन, ध्यान, गुरू शिष्य के 149
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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