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________________ -आस्था की ओर बढ़ते कदम को चादर, ट्राफी सहित प्रदान किया गया। उन्हें कलिकाल कल्प तरू पद से विभूषित किया गया। यह समारोह विज्ञान भवन में हुआ। आचार्य डा० नगराज जी महाराज को इस सन्मान को प्राप्त करने वालों में अग्रणी हैं जिन्हें जैन धर्म दिवांकर पद से अलंकृत किया गया। इस पद का प्रतीक चादर, ट्राफी उन्हें प्रदान की गई। उनसे यह अवार्ड उनकी कृति आगम और त्रिपिटक के लिए प्रदान किया गया। इसी क्रम में हम इस अवार्ड को प्राप्त करने वाले साधुओं में एक नाम और सामने आया वह था मुनि श्री रूप चन्द्र जी महाराज। इन संतों ने विदेशों में जैन धर्म जहां प्रभावना की है वहां हिन्दी भाषा में कई ग्रंथों की रचना की है। उनका सम्मान एक सादा समारोह में किया गया। उनकी कृति सुना है मैंने आयुष्मान को सन्मानित किया गया। __आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज की आज्ञानुवर्ती शिष्या डा० साधना जी महाराज बहुत प्रभाविका साध्वी हैं। जहां वह महानधर्म प्रचारिका, समाज सुधारिका, प्रवचन कवियत्रि हैं वहां वह संस्कृत, प्राकृत साहित्य की महान ज्ञाता हैं वह पहली जैन साध्वी हैं जिन्होंने पी.एचडी. की है। उनका शोध निबंध "अपभ्रंश जैन साहित्य" थां। इसी ग्रंथ के लिए उन्हें भव्य समारोह में एक चादर ओढाई गई। पूर्व केन्द्रीय संचार मंत्री स. बूटा सिंह ने उन्हें हमारी अवार्ड समिति की और से ट्राफी प्रदान की। इस अवसर पर मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने साध्वी जी का गुण गान किया। उनके उपकारों व जैन समाज के प्रति उन की देन के लिए, समाज का ध्यान उनकी और कराया गया। आचार्य श्री के देवलोंक के वाद जिस तरह उन्होंने श्री संघ और आश्रम की देख रेख में जो ध्यान दिया है वह सतुत्य है। यही नहीं 130
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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