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________________ - -आस्था की ओर बढ़ते कदम वह भाषण माला काफी ज्ञानवर्धक रही है। इस भाषण माला में हमें जैन विद्वान डा० कैलाश चन्द जैन का प्रसिद्ध विषय जैन धर्म में ईश्वर की अवधारणा के बारे में भाषण सुनने को मिला। डा० जैन भारतीय ज्ञान पीट के प्रमुख सम्पादक रहे हैं। आप दिगम्बरों ग्रंथों के प्रकाशक पंडित माने जाते हैं। जैन धर्म की ईश्वर की धारणा इतनी विचित्र है कि कई लोग जैन धर्म को नातिक तक कह देते हैं। इसका कारण जैन धर्म का ईश्वर को सृष्टि का कर्त्ता न मानना व वेदों का विरोध है। इस सव के वावजूद जैन धर्म परलोक, पुर्नजन्म, कर्म, नरक, स्वर्ग, मोक्ष को मानना है। वेद को मानने से अगर कोई आस्तिक कहलाता है, तो इस्लाम, यहुदी, मुसलमान, सिक्ख व भक्ति मार्ग के संत भी नास्तिक ठहराएंगे। ब्राह्मणों की इस परिभाषा का डा० जैन ने खुल कर खण्डन किया। जैनों की ईश्वर के प्रति दिपारधारा को उन्होंने स्पष्ट शब्दों मे व्यक्त किया। यह चर्चा हिन्दी में के कारण सरल व स्पष्ट थी। लोगों को जैन धर्म की ईश्वर के प्रति अवधारणा, निर्वाण, आत्मा व कर्म सबंधी विचारों का पता चला। विद्वानों के प्रश्नों का उत्तर भी डा० केलाश चन्द्र जैन ने दिया। इन भाषणों में एक महत्वपूर्ण नाम है डा० जगदीश चन्द्र जैन बम्बई का नाम उल्लेखनीय है। अपनी स्मृति में भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया है। वह भी दो वार भाषण देने पधारे। वह किसी समय चीन में भारत के राजदूत कार्यलय में हिन्दी पढ़ाते थे। आप ने प्राकृत भाषा का इतिहास ग्रंथ लिखा, प्राचीन जैन तीर्थ नामक पुस्तक, श्री पार्श्वनाथ जैन विद्यापीठ वाराणसी में प्रकाशित हो चुकी है। इन का एक भाषण जैन शासन देवी 105
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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