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________________ पहुँचे। बीरबल की चतुराई देखने के लिए लोगों का जमघट लग गया। बीरबल ने काले कोयले को सबके सामने रखा और उसमें आग लगा दी । कोयला धू-धू करके जलने लगा और जलकर सफेद राख बन गया। यह देखकर सभी ने बीरबल की प्रशंसा की । जिस प्रकार कोयले को सफेद करने का उपाय संसार में अग्नि में जलाने के अलावा दूसरा नहीं है, उसी प्रकार कर्मों से मलिन आत्मा को शुद्ध व पवित्र बनाने का उपाय उत्तम तप के अलावा दूसरा कोई नहीं है। अतः हम सभी को इन बारह प्रकार के तपों को अत्यन्त कल्याणकारी जानकर अवश्य ही करना चाहिये। जैसे सोने में लगा हुआ मैल सोने को आग में तपाने से दूर हो जाता है, उसी प्रकार अनादिकाल से आत्मा के ऊपर जो कर्मों की मलिनता लगी हुई है, वह तप के माध्यम से दूर हो जाती है। आचार्य श्री विशुद्धसागर जी मुनिराज ने लिखा है मिट्टी में घड़ा बनने की योग्यता है, पर बिना क्रिया किए मिट्टी घड़ा नहीं बन सकती । दुग्ध में घृत है, लेकिन घृत प्राप्त करने के लिये प्रक्रिया पूरी करनी पड़ेगी। बिना प्रक्रिया के दुग्ध से घृत संभव नहीं है । इसी प्रकार आत्मा में परमात्मा की शक्ति मौजूद है, यानी आत्मा में परमात्मा विराजमान है, पर जैसे बिना छैनी के पाषाण से प्रतिमा नहीं निकलती, वैसे ही बिना तप के आत्मा परमात्मा नहीं बन सकती । जो तप जाता है, वह चमक जाता है । यदि स्वर्ण-पाषाण को तपाया नहीं जाए, तो स्वर्ण प्राप्ति संभव नहीं । स्वर्ण-पाषाण को तपाने से ही स्वर्ण की प्राप्ति होगी । अपनी शक्ति को छिपाये बिना, जिस प्रकार जिनेन्द्र भगवान् के मार्ग से विरोध रहित हो, उसी प्रकार तप करो । तप नामक सुभट की सहायता के बिना अपने श्रद्धान, ज्ञान, आचरणरूप धन को, क्रोध, प्रमाद आदि लुटेरे 707 2
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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