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________________ मनीआर्डर से वापस कर देते । वे जीवन में सच्चे अर्थों में पाँच अणुव्रतों का पालन करते थे। एक बार वे अपने छोटे पुत्र के साथ मुंबई गये । वहाँ पहुँचने पर उन्हें ध्यान आया कि पुत्र की उम्र 6 वर्ष से अधिक हो गई हैं उन्होंने उसका आधा टिकट नहीं लिया था। 6 वर्ष तक के बच्चों की टिकट नहीं लगती थी । मन में पश्चाताप होने लगा। घर आकर उसकी टिकिट के रुपये तथा क्षमायाचना पत्र रेल्वे के कार्यालय में मनीआर्डर कर दिये। रेल्वे का अधिकारी कोई अंग्रेज था । वह इनकी ईमानदारी से बहुत प्रभावित हुआ। उसने एक नोटिस रेलवे में घुमा दिया कि “पंडित गोपालदास बरैया, मुरैना निवासी की रेलयात्रा के दौरान टिकिट आदि देखने की आवश्यकता नहीं है । वे एक ईमानदार व्यक्ति हैं । " प्रसिद्ध चीनी यात्री हह्येनसांग ने अपनी भारतयात्रा के संस्मरण में लिखा है "मुझे भारत में एक ऐसा वर्ग दिखा जिनकी दिनचर्या सूर्योदय से आरंभ होकर सूर्यास्त पर समाप्त होती है। समाज में इस वर्ग को विशेष आदर की दृष्टि से देखा जाता है।" आज इस वर्ग का विशेष आदर कहाँ गया? नहीं है। क्योंकि वह आचरण सुरक्षित नहीं रहा । यदि सभी आचरण से जैन बने रहें, कुलक्रमागत आचरण का पालन करते रहें, तो बहुत शाश्वत प्रभावना होगी । इस अंग में बज्रकुमार मुनिराज प्रसिद्ध हुये हैं । अहिछत्रपुर राज्य में सोमदत्त नामक एक मंत्री था । उसकी गर्भवती पत्नी को आम खाने की इच्छा हुई? उस समय आम पकने का मौसम नहीं था, फिर भी मंत्री ने वन में जाकर आम ढूँढा, तो एक पेड़ पर सुन्दर आम झूलता हुआ दिखाई दिया, उसे बड़ा आश्चर्य हुआ । उस पेड़ के नीचे एक वीतरागी मुनिराज ध्यानस्थ बैठे थे । शायद उन्हीं के प्रभाव से उस पेड़ पर आम पक गया था । मंत्री ने भक्तिपूर्वक नमस्कार करके मुनि महाराज के सामने विनय 599 2
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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