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________________ दिखाओ, हम स्पर्श से ही जानते हैं।" पेड़ को, पत्तों को तो छूकर बताया, समझाया जा सकता है, किन्तु हरियाली को छूकर कैसे बताया जाये? सुंदर दृश्य को स्पर्श से नहीं बताया जा सकता। वह नहीं बता पाया। सब उसे पागल कहने लगे। सच है- अंधों को आँखवाला पागल ही दिखेगा। सब अंधे कहने लगे “हरियाली, सुंदरता कुछ नहीं है। तुम व्यर्थ का अपना राग अलाप रहे हो। यहाँ से चले जाओ।" वह व्यक्ति तो घाटी के प्राकृतिक सुन्दर दृश्य, मनोरम छटा और सौंदर्य पर मुग्ध था, मोहित था। वह अंधों से प्रार्थना करने लगा कि उसे वहाँ रहने दें। अंधों ने कहा"तुम यहाँ रह सकते हो। यदि तुम्हें यहाँ रहना हो तो हमारी रीति के अनुसार तुम्हारी आँखें निकाल दी जायेंगी।" अंधे उसकी आँखों के आपरेशन की तैयारी करने लगे। वह व्यक्ति सोचने लगा-"इन अनुपम प्राकृतिक दृश्यों को देखते रहने की लालसा में ही तो मैं यहाँ रहना चाहता था, पर जब आँख ही नहीं रहेगी, तो फिर देखूगा कैसे? यदि आँखें रहीं, तो ऐसा सौंदर्य कहीं अन्यत्र भी खोज लूँगा।" वह अपनी आँखें किसी भी कीमत पर गँवाना नहीं चाहता था। अतः जान बचाकर भागा। इसलिये तो कहते हैं- “दृष्टि हो, तो भिखारी भी साम्राज्य प्राप्त कर सकता है और दृष्टिहीन सम्राट भी भिखारी के समान है।" ऐसी दृष्टि की अमूढ़ता जिसके जीवन में आ जाती है, वह संसार के बड़े-से-बड़े प्रलोभन से भी अप्रभावित रहता है। अपने को जिसने जान लिया, वह पर से प्रभावित नहीं होता। अज्ञान के रहने तक मोह और प्रलोभन का प्रभाव होता है। आँखें खुलीं, अज्ञान मिटा, फिर मोह का प्रभाव नहीं रहता। ___आचार्य समंतभद्र स्वामी ने तीन प्रकार की मूढ़ताओं का उल्लेख किया है- एक लोकमूढ़ता, दूसरी देवमूढ़ता और तीसरी गुरुमूढ़ता। सम्यग्दृष्टि इन तीनों मूढ़ताओं से रहित होता है। w 523 u
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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