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________________ था कि मेरे बाल सफेद हो गये, इसका अर्थ है कि मुझे चलना है, अब मेरा दुनियाँ में रहने का ज्यादा समय नहीं है, सफेद बाल सूचना देते हैं कि मौत ने अपना वारंट भेज दिया है, वह कभी भी आकर तुम्हें अरेस्ट कर सकती है। मौत तुम्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। मौत गिरफ्तार करे, उससे पहले आदमी को संसार की और पापों की रफ्तार कम कर देनी चाहिये । सम्राट ने सोचा कि मौत आये उससे पहले मुझे मोक्ष के रास्ते पर बढ़ जाना चाहिये। संसार की झंझटों से हाथ जोड़कर अपनी इच्छाओं से पीछा छुड़ा करके अब प्रभु भजन में अपनी जिन्दगी लगाना चाहिये । सम्राट ने सोचा कि मैं अपना राज्य किसे सौंपूँ। उसे एक युक्ति सूझी । उसने अपने सौ पुत्रों को भोजन के लिये अपने महल में आमंत्रित किया। सभी राजकुमार बड़े प्रसन्न हुये कि आज पिताजी के महल में भोजन करना है, अतः वे सभी बड़े आनन्द और उत्साह के साथ राजमहल में पहुँचे। बड़ा ही स्वादिष्ट भोजन बना हुआ था, इसलिये भोजन की खुशबू चारों ओर फैल रही थी । सभी राजकुमार भोजन करने बैठ गये। जैसे ही वे भोजन करने के लिये पहला ग्रास तोड़ते हैं, सम्राट ने सैनिकों को इशारा किया, कि एक सैकंड भी नहीं लगा, पलक झपकते ही हजारों शिकारी कुत्ते राजकुमारों पर झपट पड़े जिनकी दाढ़ी बड़ी विकराल, नाखून बड़े-बड़े शेर की तरह खूंखार जो क्षण भर में आदमी को चीर-फाड़ डालें, ऐसे कुत्ते राजकुमारों पर आक्रमण करने लगे । कुत्तों को देखकर सारे राजकुमार थाली छोड़कर भागने लगे, बचाओ-बचाओ कहकर चिल्लाने लगे और राजमहल से बाहर निकल आये । शाम को सम्राट ने अपने सौ पुत्रों को दरबार में बुलाया और पूछा- आप सबने भोजन कर लिया? सारे भाइयों ने मिलकर खाया, बड़ा आनन्द आया होगा? राजकुमारों ने कहा - पिता जी ! आप भी अच्छा मजाक कर लेते हैं । आप कह रहे हैं कि बड़े आनन्द से भोजन किया होगा । वहाँ तो प्राणों के लाले पड़ गये, मौत सामने खड़ी थी और हम वहाँ भोजन करते ? सम्राट ने पूछा- क्या हुआ? राजकुमारों ने कहा - पिताजी! आज आपने भोजन पर बुलाकर हमारा अपमान किया, हमारी बेइज्जती की । यदि हमें मालूम होता तो हम कभी आपका 152 2
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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