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________________ अत्यंत स्नेह था। सूरदास जी उनके जाते ही तड़पने लगे। कुछ दिनों बाद खबर आयी कि दो भाई युद्ध में मारे गए। अब क्या था, सूरदास रोते-रोते अन्धे बन गए और सदा के लिये अपने आप को एक घनिष्ट दुःख में डाल दिया। क्या वे भाई रोने से वापिस आ गये? नहीं आये। तुलसीदास जी को अपनी पत्नी रत्नावली से इतना मोह था कि एक बार उनकी पत्नी बिना पूछे अपने पीहर चली गई तो तुलसीदास जी उनके मोह में तड़प गए। तीसरे दिन ही उनके पीछे-पीछे अपनी ससुराल पहुंच गए। उनको देख रत्नावली बहुत लज्जित हुई और उन्होंने कहा कि जितना मोह तुम्हें मेरे इस हड्डी तथा माँस से बने शरीर से है, इतना मोह यदि अन्तरात्मा से हो जाये, प्रभु से हो जाये, तो यह भवभ्रमण का चक्कर ही छूट जाये। जब पत्नी से मोह दूर हो गया, तो जंगल में जाकर भगवद् भक्ति की और रामचरित मानस की रचना की। ___ जिनका मोह दूर हो जाता है, उन्हें इस नश्वर संसार को छोड़ने में देर नहीं लगती। प्रद्युम्न कुमार को वैराग्य हो गया। वे श्रीकृष्ण व बलदेव से दीक्षा लेने की आज्ञा लेने राजमहल में पहुँचे। तब श्रीकृष्ण व बलदेव कहते हैं-'अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है? अभी तो हम बड़े-बूढ़े लोग घर में बैठे हैं। कुछ दिन बाद दीक्षा ले लेना।' तब प्रद्युम्न कुमार कहते हैं कि आप लोग तो संसार के थम्ब हो, अतः राज्य करो। मैं तो वन में जाता हूँ। वे पत्नी के पास जाकर कहते हैं-मेरे भाव दीक्षा लेने के हो रहे हैं, मैं दीक्षा लेना चाहता हूँ। तब वह महान स्त्री कहती है कि जब तुम्हें संसार और भोगों से वैराग्य हो गया है तो मुझसे पूछने क्यों आये? क्या स्त्री से पूछ-पूछ कर दीक्षा ली जाती है? अब आप जाओ अथवा मत जाओ, मैं तो आर्यिका माता बनकर तपस्या करूँगी और वह प्रद्युम्न कुमार से पहले घर से निकल जाती है। ब्रह्मगुलाल बहुरूपिया बनकर खेल दिखाता था। एक बार हँसी-खेल में उसने मुनिवेश धारण कर लिया, लेकिन बाद में उसके मित्र मथुरामल ने और माता-पिता ने बहुत कहा कि यह तो तुम खेल ही कर रहे थे, अब कपड़े पहन लो। ब्रह्मगुलाल कहता है कि ये मुनि-वेश त्यागा नहीं जाता। यह तो सबसे 0 1410
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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