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________________ कारण गठरी खुल गई और भूसा नदी में तैरने लगा। फिर भी किसान ने हिम्मत नहीं हारी। वह दौड़-दौड़ कर भूसा इकट्ठा करने लगा तथा कहने लगा कि बाढ़ चाहे जैसी हो, मैं भूसे को नहीं बिखरने दूंगा। किसान अपने जीवन की परवाह किये बिना भूसे को इकट्ठा करने में लगा रहा, पर उसे असफलता ही हाथ आई। अज्ञान के कारण यह मोही बहिरात्मा जीव परपदार्थों की आसक्ति के कारण व्यर्थ ही संसार में भटक रहा है। अतः अब स्व–पर का विवेक प्राप्त करके मिथ्यात्व को छोडकर अन्तरात्मा सम्यग्दष्टि बनना चाहिये। मिथ्यात्व संसार का मूल है। मिथ्यात्व वह कहलाता है कि जो बात जैसी नहीं है, उसको उस प्रकार मानें। यह शरीर अपना नहीं है, पर इसे मानें कि यह मैं हूँ, तो मिथ्यात्व है। परिजन, परिवार मैं नहीं हूँ, लेकिन यह बहिरात्मा जीव मोह के कारण उन्हें अपना मानता है और दिन-रात उन्हीं की चिन्ता में लगा रहता है। यह मोह ही संसारभ्रमण का कारण है। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने एक घटना सुनाई थी, यह घटना सन् 1975 की है। महाराष्ट्र के पूना शहर में एक बार बाढ़ आ गई। पानी कहाँ तक फैलेगा, कहा नहीं जा सकता। सभी को सावधान कर दिया गया व अपनी सुरक्षा स्वयं करने की सूचना भिजवा दी गई। लोग अपनी-अपनी सुरक्षा में लग गये, किन्तु एक परिवार इस बाढ़ की चपेट में आ गया। समाचार मिलने के उपरान्त भी वह सचेत नहीं हुआ। जो लोग सूचना मिलते ही घर छोड़कर चले गये थे, वे पार हो गये और जिसने समाचार सुनकर भी अनसुना कर दिया था, वह चिंतित हो गया। वह पत्नी से कहता है कि अब हम इस स्थान को छोड़कर कहीं अन्यत्र चलें तो ठीक रहेगा, क्योंकि पानी ज्यादा बढ़ रहा है। पत्नी कहती है कि ठीक है, मैं बच्चों को लेकर जाती हूँ, आप भी शीघ्रता करिये। पत्नि बड़े साहस के साथ दोनों बच्चों को साथ लेकर पार हो जाती है और वह व्यक्ति सोचता है कि क्या करूँ, क्या-क्या सामान बाँध लूँ? कहाँ-कहाँ क्या-क्या रखा है, वह उसे खोजने में लग जाता है और पानी की मात्रा बढ़ती जाती है। वह सोचता है कि मैं अपना यह सब सामान छोड़कर कैसे जाऊँ? वह 0 106 0
SR No.009993
Book TitleRatnatraya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages800
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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