SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लघुविद्यानुवाद २६ ढ -चतुरस्रासन, मोहन के समान, जम्बू द्वीप प्रमाण, पुल्लिग, आठ भुजा वाला, पशु, पाश, वज्र, मूसल, भिदपाल, मुद्गर, चाप, हल, नाराचायुध को धारण करने वाला, सुस्वाद, सुस्वर,सिह नाद के समान महाध्वनि करने वाला, लाल वरणं वाला, ऊपर मुख वाला, दुष्ट निग्रह शिष्ट परिपालन करने वाला, सौ योजन विस्तार वाला, हजार योजन पावत्त वाला, तदर्द्ध परिणाह जटा मुकुट को धारण करने वाला, सुगन्ध से सयुक्त, निश्वास वाला, किन्नर ज्योतिष के द्वारा पूजित, महोत्सवयुक्त, कालाग्नि शक्ति, वश्याकर्षण, निमिषार्द्ध साधन, विकलाग, अग्नि दैवत । ऐसा 'ढ' कार का लक्षण है। ____ण :-त्रिकोणासन, व्याघ्र वाहन, सौ हजार योजन आयाम, पचास हजार योजन विस्तार वाला, छ भुजा वाला, शशि तोमर, भुशुडि, भिदपाल, परशु त्रिशूल के आयुध को धारण करने वाला, कठोर गन्ध से सहित, श्राप या अनुग्रह करने मे समर्थ, काले वरण का, रौद्र दृष्टि, खारा स्वाद वाला, नपुसक, वायु दैवत । ऐसा 'ण' कार का लक्षण है। त –पद्मासन, हाथी वाहन, शौर्य ही जिसका आभरण है, सौ योजन विस्तार वाला, पचास योजन अायाम, चम्पा के गन्ध वाला, चार भुजा वाला, पशु, पाश, पद्म, शख के आयुध वाला, पुल्लिग, चन्द्रादि देवता से पूजित, मधुर स्वाद वाला, सुगन्ध प्रिय। ऐसा 'त' कार का लक्षण है। थ.-बैल का वाहन, आठ भुजा वाला, शक्ति तोमर, पशु धनुष, पाश, चक्र, गदा, दण्ड आयुध वाला, काला वर्ण वाला, काला वस्त्र वाला, जटा मुकुटधारी, करोड योजन आयाम आधा करोड विस्तार वाला, कर दृष्टि वाला, कठोर स्वर वाला, गन्ध वाला, धतूरा के रस का प्रिय, सर्व कामार्थ साधन अग्नि देवत । ऐसा 'थ' कार की शक्ति व लक्षण है। द -भैस का वाहन, काला वर्ण, तीन मुख वाला, छ भुजा वाला, गदा, मूसल, त्रिशल. भशडि, वज्र, तोमर का पायव वाला, करोड योजन आयाम वाला प्राधा करोड़ योजन विस्तिर्ण, दिगम्बर (नग्न) लोहा के प्राभरण वाला उर्ध्व दृष्टि, सर्प का यज्ञोपवितधारी, निष्ठर ध्वनि है जिसकी मकरन्द मुन्मोक्षण, मन्त्र साधन मे विशेष, यम देवता से पूजित काला रग वाला, नपुसक । ऐसा 'द' कार का लक्षण है। ध -पुल्लिग, कपायला वर्ण वाला, तीन नेत्र वाला, चतुरायुत योजन, विस्तीर्ण, रौद्र कार्य करने वाला, छ भुजा वाला, पाश, गदा, भुशुडि, मूसल, वज्र, शरासन का पायध धारण करने वाला, काला वर्ण, काला सप का यज्ञोपवित धारण करने वाला जटा मुकूटधारी हुकार का महाशब्द करने वाला, मशहूर कठोर, धूम्र प्रिय, रौद्र दृष्टि, नेऋत्य देव से पूजित । ऐसा 'ध' कार का लक्षण है। न :-काला वर्ण का, नपुसक त्रिशूल, मुद्गर के आयुध वाला, द्विभुजा युक्त, उर्ध्व केश से व्याप्त, चर्मचारी रौद्र दष्टि वाला, कठोर स्वाद वाला, काला सर्प का प्रिय, कौए के समान स्वर वाला, सौ योजन उत्सेध वाला, पचास योजन आयाम वाला, निर्यास, गुग्गल, तिल,
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy