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________________ ६८६ लघुविद्यानुवाद जूनी ईट लेय १ साचे दल वाटे ४ के सममधी खड्डा करके खड्डा मे पारा भरे तोला २ मग जस्ताची वाटी तो पाच को ऊपर वौघी ठेवे। पारा को ऊपर मग भौताल वाटी की सधी (साठ) गुड चुना ओमू चे मग तीन पत्थर के ऊपर ईट चढावे । नीचे अगार नर बेर की लकडी की देय प्रहर १६ मगते बाटी ऊपर हजार निबू को रस लेप चो वादे सोलह प्रहर मग ठडी भवे निकारे नारियल फोडे । मन्त्र जप :-ॐ नमो भवावते पर भटे मम रसायनं सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ।। जप १०,००० नतर ते भरम पर की तोला ताबे को गू ज १ देय उत्तम पीत । जस्त भस्म देय तर मध्यम भगार ।।इति।।। पारा स्तंभन का तंत्र मन्त्र :-अल बांधो, थल बांधो, बांधो जल का नीरा, सात कोस समुंदर बांधो, बांधों बावन वीरा, लंका ऐसी कोट, समुदर ऐसा खाइ, पारा तेरा उडना बांधो, शिव तोर वी जाई बंध जा पारवती की दोहाई ॐ ठः ठः स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र को कमलाक्ष की माला से पूर्व की तरफ मुख करके चौरासी हजार जप करे, दशास अग्नि में आहुति देवे, होम द्रव्य, खोवा १ सेर, शहद १ सेर, सौप १ सेर, दूध १ सेर, घी १ सेर, आम की लकडी । तब मन्त्र सिद्ध होता है। मन्त्र सिद्ध हो जाने के बाद पारा एक रुपया भर से लेकर नोसो भर पारा तक एक पात्र मे घर, छोटा वरि पारी बूटो का दो-चार पत्र डारि, इस मन्त्र को १०८ अथवा तीन, अथवा सात, अथवा एक इस बार मन्त्र पढि २ पारा कु फूक के ढाक ते जाना, मन्त्र पढते जाना, अच्छी भाति ढाकी के गोबढे (कडे) सेर २ सेर के अग्नि मे कप रोटी करके डार देना, पारा की चादी हो जायेगी। यह सिद्ध सावर मन्त्र है रसायन का।। (१) गधक एक भाग, पारा दो भाग, हरताल भाग तीन, सीसा भाग चार, पीला वधारी याने पीले तीलवनी उसके रस मे खलकर ताबे को पुट देने से सुवर्ण के समान पीत होता है। सिद्धम् इति । (२) हरण खुरीता रस मे घुमाना चाहिये । प्रथम तावे मे पारा भस्म अथवा शिशभस्म डाले, उसके बाद रस मे घुमावे । सिद्धम् । (३) कन्हेरा मशिल तोला ५ उसका रग कनेर के फल जैसा रहता है। एक तोला कथिल का पानी करना । उसमे एक रती गूज मसिल डालना। उसमे शुद्ध शुभ्र होता है। (४) कलकपारा सेर ७७२ काले पत्थर के खल मे उसका घोटना । सफेद रिंगणी उसके फूल सफेद होते है उसको तोडकर डाले उसके बाद मूल शाखा, पाला घिसकर उसका रस बनाना। २ सेर खल मे डालकर उसको खलना। पारा
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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