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________________ लघुविद्यानुवाद ६१५ - "बहुपिरूणी ( सुगन्धनो देवो) यक्षिणी" - पीत वर्ण, कृष्ण सर्प की सवारी करने वाली और चार भुजा वाली है । हाथो में ढाल, फल, तलवार और वरदान धारण करने वाली है । ( चित्र न० ४० ) क्षेत्रपाल -- ४ तद्रराज, गुगराज, कल्याणराज, भव्यराज । , (२१) श्री नमिनाथजी ( नील कमल का चिन्ह ) "भृकुटि यक्ष' - रक्त वर्ण वाला, बैल की सवारी करने वाला, चार मुख तथा आठ हाथ वाला, हाथो मे ढाल, तलवार, धनुष, बाण, अकुश, कमल, चक्र और वरदान है । ( चित्र न० ४१ ) "चामुण्डा (कुसुममालनि ) यक्षिणी" -- हरित वर्ण वाली, मगर की सवारी करने वाली, चार भुजा वाली, हाथो मे दण्ड, ढाल, माला और तलवार है । (चित्र न० ४२ ) क्षेत्रपाल -- ४ कपिल, वटुक, भैरव, भैरव, सल्लाकारव्य । (२२) श्री नेमिनाथजी ( शंख का चिन्ह ) "गोमेद यक्ष " -- कृष्ण वर्ण वाला तीन मुख तथा पुष्प के प्रासन वाला मनुष्य की सवारी करने वाला और छह हाथ वाला है हाथो मे मुग्दर, फरसा, दण्ड, फल, चक्र और वरदान है । (चित्र न० ४३ ) "श्राम्रा (कुष्माण्डनी) यक्षिणी -- सिह वाहिनी, ग्राम की छाया में रहने वाली दो भुजा वाली है बाएं हाथ में प्रिय पुत्र की प्राप्ति के लिए आम्रा की लूम को धारण करने वाली है तथा दाहिने हाथ मे शुभकर पुत्र को धारण करने वाली है । (चित्र न० ४४ ) क्षेत्रपाल ---४ कौकल, खगनाम, त्रिनेत्र, कलिंग | (२३) श्री पार्श्वनाथजी (सर्प का चिन्ह ) “धरणेन्द्र यक्ष”—ग्रकार के समान नीले वर्णवाला, कछुग्रा की सवारी करने वाला, मुकुट मे सर्प का चिन्ह और चार भुजा वाला है । ऊपर के दोनो हाथो मे सर्प और नीचे के वाऐ हाथ मे नागपाश और दाहिने हाथ में वरदान को धारण करने वाला है । (चित्र न० ४५) "पद्मावती देवी यक्षिणी" - कमल (आशाधर पाठ मे कुक्कुट ) सर्प की सवारी करने वाली कमलासानी माना है मस्तक पर सर्प के तीन फरणो के चिन्ह वालो माना है । मल्लिपेणाचार्य कृत पद्मावती कल्प मे चारो हाथो मे पाश फल वरदान को धारण करने वाला भी माना है ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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