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________________ लघुविद्यानुवाद शून्याक्षरादि गुरु पंच पदान्कनीय । स्याद्यगुली त्रितयपर्वसु चाग्र भागे । अंगुष्ठ तर्जनीकया क्रमशः कराभ्याम् । विन्यस्य हस्तयुगलं मुकुली करोमि ।। यहाँ पर दोनो हाथो को मिलाकर मुकुलित करे अर्थात् हाथ जोडे और हाथ जोडे-जोडे ही निम्नलिखित मत्र के अनुसार अङ्गन्यास (अङ्ग रक्षण) करे अर्थात् जिस स्थान का नाम आया है, उस स्थान का स्पर्श करे । ॐ ह्रॉ णमो अरहताण स्वाहा । ॐ ह्री णमो सिद्धाण स्वाहा । ॐह णमो पायरियारण स्वाहा । ॐ ह्रौ गमो उवज्झायाण स्वाहा । ॐ ह्र. णमो लोए सव्व साहूण स्वाहा। (करन्यास मत्र ) ॐ ह्रां ह्री हह्रौ ह्र व म ह स त प अ सि आ उ सा स्वाहा। (हस्त द्वय मुकुलीकरण मत्र) अर्ह नाथस्य मंत्र हृदय सरसिजे सिद्ध मत्रं ललाटे। प्राच्यामाचार्य मंत्र पुनर्वटुवटे पाठकाचार्य मत्र ।। वामे साधो स्तुति मे शिरसि पुनरिमानं स योनीभिदेशे । पार्वाभ्यां पंच शून्यैः सह कवच शिरोऽङ्गन्यास रक्षा करोमि । ॐ ह्रॉ गमो अरहतारण रक्ष रक्ष स्वाहा । (हृदय कवच) ॐ ह्री णमो सिद्धारण रक्ष रक्ष स्वाहा । (मुखम्) ॐ ह्र णमो आइरियाण रक्ष रक्ष स्वाहा । (दक्षिरणग) ॐ ह्रौ गमो उवज्झायारण रक्ष रक्ष स्वाहा । (पृष्ठागम्) ॐ ह्र गमो लोए सव्व साहूण रक्ष रक्ष स्वाहा। (वामाग) हा णमो अरहतारण रक्ष रक्ष स्वाहा । (ललाट भाग) ॐ ह्री णमो सिद्धाण रक्ष रक्ष स्वाहा। (उर्वभाग) ॐ हणमो पाइरियारण रक्ष रक्ष स्वाहा । (शिरो दक्षिण भाग) ॐ ह्रौ णमो उवज्झायारण रक्ष रक्ष स्वाहा । (शिरो अपर भाग) ॐ ह्र णमो लोए सव्व साहूण रक्ष रक्ष स्वाहा । (शिरो वाम भाग) ॐ ह्रॉ णमो अरहतारण रक्ष रक्ष स्वाहा । (दक्षिण कुक्ष) ॐ ह्री णमो सिद्धारण रक्ष रक्ष स्वाहा । (वाम कुक्ष) ॐ हणमो आइरियाण रक्ष रक्ष स्वाहा । (नाभि प्रदेश) ॐ ह्रौ णमो उवज्झायाण रक्ष रक्ष स्वाहा । (दक्षिण पार्श्व भाग) ॐ ह्र णमो लोए सव्व साहूण रक्ष रक्ष स्वाहा । (वाम पार्श्व भाग) (इति अगन्यासः)
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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