SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 488
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४२४ लघुविद्यानुवाद (७) देवदत्त लिखे ऊपर एक वलय लिखे उस वलय मे क्रमश अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ लु ल ए ऐ ओ औ अ अ ये स्वर लिखे, फिर ऊपर से एक वलय और खीचे उस वलय मे ॐ ह्री चामु डे लिखे। ये हुई यन्त्र रचना । यन्त्र न ७ देखे । प. श्लोक नं० २ विधि नं० १ यन्त्र नं. ३ प फन दिघन रह रहर रह र त ण जनमः मा 1ॐ हरहर हर य सबताया हरहरहर अट ठड गायनम र ल व Shree स्वछ ज झ हर हर हर नसुव्रताया रह रह रहा वश ष स 08> SE. विधि इस यन्त्र से अभिचार (मारण) कर्म भी दूर होता है -इन दोनो यन्त्रो को केशर गोरोचन से भोज पत्र पर लिखकर यन्त्र को वेष्टित करके हाथ मे बाधने से वघ्या गर्भ धारण करती है और उसके गर्भ मे मरे हुए बच्चे कभी नही होगे। दूसरे यन्त्र के प्रभाव से काक बध्या भी प्रमव धारण करती है। यन्त्र न ६-७ की विधि है।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy