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________________ २७० लघुविद्यानुवाद तो उस यन्त्र को प्रष्ट गध से लिखकर पास मे रखने से पीडा मिटेगी। अकाल मे प्रसव नही होगा और शरीर स्वस्थ रहेगा ॥२०॥ गर्भ रक्षा पुष्टि दाता बत्तीसा यन्त्र ॥२१॥ यह यत्र गर्भ रक्षा के लिए उत्तम माना गया है । जब महिने दो महिने तक गर्भ स्थिर रहकर गिर जाता हो अथवा दो चार महीने बाद ऋतुस्राव हो जाता हो तो इस यन्त्र को अष्ट गध से तैयार करके पास में रख लेने से या कमर पर बाधने से इस तरह के दोष यन्त्र न० २१ १५ / २ १२ मिट जाते है । गर्भ की रक्षा होती है और पूर्ण काल मे प्रसव होता है। विशेषकर गर्भ स्थित रहने के पश्चात् बाल बुद्धि से जो स्त्री ब्रह्मचर्य नही पालती हो अथवा गर्म पदार्थ खाती पीती हो उसी के गर्भ स्राव होना सम्भव है । और दो चार बार इस तरह हो जाने से प्रकृति ही ऐसी बन जाती है । इसलिये ऐसे अमगल करने वाले कार्य को नही करना चाहिये और यत्र पर विश्वास रखकर शुद्धता से रखेगे तो लाभ होगा ॥२१॥ भयहर सुव्वं व्यवसाय वर्धक चौतीसा यन्त्र ॥२२॥ ___ इस यन्त्र को निज जगह व्यवसाय की रोकड रहती हो या धन-सम्पत्ति रखने का स्थान हो या तिजोरी के अन्दर दीवाली के दिन शुभ समय लिखकर दीप, धूप, पुष्प से पूजा करते रहना । यदि नित्य नही हो सके तो आपत्ति भी नही है। इस यन्त्र को अष्टगध से लिखकर पास मे रखा
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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