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________________ १३८ लघुविद्यानुवाद मन्त्र :--ॐ जलिपाणि थलि पाणि मकरि मछिट टोलीउंपारिबाउंसरग हरिण दिज्जमु खुधावउं ज्ज जोयउं सुमोहउ ज्ज चाह सुवाहपचकिरिण पंच धारि जो महु करइ रागुरो सु सुजाउ अट्ठमइपा तालि फट् स्वाहा । विधि –अनेन् सूर्योदय समये वाम हस्तेन करोटक मध्य स्थित उदक गहित्वा बार २१ अभि __ मन्त्र्यतत एकविशति वारा मुख प्रक्षाल्य राजकुले गतव्य श्वेत सपंपा. शिव निमाल्यमव च एकीकृत्य यस्य गृहे स्थापयेत् । मन्त्र :--ॐ पिशाच रुपेलिंग परिचुम्बयेत् भगंवि सिंचयेत स्वाहा । विधि -इस मन्त्र की विधि समाप्त कर दी है। मन्त्र :--ॐ नोमो भगवती चीमी चामी वी चमी स्वाहा । विधि - इस मन्त्र का एक लाख जाप्य करने से मोहिणी प्रसन्न होती है । मन्त्र --ॐ तारे तु तारे तुरे मम कृते सर्व दुष्ट प्रदुष्टानां जंभय स्थंभय मोहय हुं फट् ३ सर्वदुष्ट प्रदुष्टानां स्तंभय तारे स्वाहा । विधि -शुक्ल चतुर्दशी दिने १००० जाप्यसिध्यति प्रतिदिन वार ७ कार्ये उपस्थते वार १०८ वशी भवति दृष्ट मात्रे। मन्त्र :--ॐ नमो भगवति रक्ता क्षीरक्त मुखी रक्त खशीरक्त ए ए अमुकं उच्चाटय २ ॐ ह्रह फट् स्वाहा । विधि :-इस मन्त्र की विधि उपलब्ध नहीं हुई। मन्त्र --ॐ ॐ पासीया ॐ सीयायन्मोह वन वाद वादनी असि पाउसाया ये नमो नमः । विधि :- इस मन्त्र का सवा लक्ष जाप्य करे तो वादी जीते। मन्त्र --ॐ नमो भगवति पद्मावती वृषभ वाहिनी सर्वजन क्षोभिरिण मम चितित कर्म कर्मकारिणी ॐ ॐ ह्रां ह्रीं हः। विधि .-इस महा मन्त्र का स्मरण करने से सर्वजन वश करता है, प्रादर स स्मरण करना चाहिये। दृष्ट प्रत्यक्ष ।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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