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________________ लघुविद्यानुवाद ४३ -- (२) ॐ ह्रा ह्री ह्र, ह्रौ ह्र असि आ उ सा स्वाहा , (३) ॐ अर्ह सिद्ध केवलि सयोगी स्वाहा । १४) ॐ अर्ह सिद्ध सयोगी केवलि स्वाहा चतुर्दशाक्षरी: (१) ॐ ह्री ह नमो नमोऽर्हताण ही नम. . (२) श्रीमद् वृषभादि वर्धमाना तेभ्यो नम पचदशाक्षरी (१) ॐ श्रीमद् वृषभादि वर्धमानान्तेभ्यो नमः । षोडशाक्षरी (१) अर्ह सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यो नम । द्वाविंशत्यक्षरी (१) ॐ ह्रा ह्री हू, ह्रौ ह्रौ ह्रः अर्हसिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुभ्यो नमः । त्रयोविंशत्यक्षरी ॐ ह्रा ही हू, ह्रौ ह्र' असि-प्रा-उसा अर्ह सर्व सर्व शान्ति कुरु कुरु स्वाहा पंचविंशत्यक्षरी ॐ जोग्गे मग्गे तच्चे भूदे भव्वे भविस्से अक्खे पक्खे जिण परिस्से स्वाहा एकत्रिंशत्यक्षरी ॐ सम्यग्दर्शनाय नम सम्यक्ज्ञानाय नम सम्यकचारित्राय नमः सम्यक् तपसे नम । सत्ताईस अक्षरी ऋषि मंडल ॐ ह्रा ह्री ह्र, ह ह ह ह्रौ ह्र बीजाक्षर । असि पाउसा सम्यकदर्शन ज्ञान चारित्रेभ्यो ह्री नम १८शुद्धाक्षर । णमोकार मंत्र (१) पच त्रिशत्यक्षरी ३५ श्री णमोकार मन्त्र णमो अरिहताण, सो सिद्धाण णमो आयरियारण, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्व साहूणं ।। १ ।।
SR No.009991
Book TitleLaghu Vidhyanuvad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKunthusagar Maharaj, Vijaymati Aryika
PublisherShantikumar Gangwal
Publication Year
Total Pages774
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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