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________________ है भैरव पद्मावती कल्प यत्र संख्या ३६ वश्य यन्त्र पञ्चम AN निस्मन्न नुभएको रोना MORE 42MBE नरममा नरेट ८. नागरम साहाय CATनमन-6 Ne/RRes Rekha RERAurs स्वरबीजयुतं शून्यं तत्वेनैङ्कारवेष्टितम् । पाह्येऽष्टदलाम्भोज नित्यक्लिन्ने मददगावे ।। १८ ॥ मदनातुरे कषडिति बिलिखस्ताहान्तविनयपूर्वेण । त्रिभुवनवश्य वश्य प्रतिदिवम भवति संजपतः ।। १९ ।। भा० टो-एक अष्टदल कमलकी पर्णिकामें नाम सहित ली ह ह्रीं और ऍो लिख र उसके आठों दलों में निम्न लिखित मन्त्र लिखकर इसी मन्त्र का प्रति दिन जप करे तो अवश्य ही दशमे हो जाते हैं। मन्त्रोद्वार ॐ हीं ह्रीं ऐंनित्य किन्ने मद्वेमदनातुरे त्रिभुवनं मम वशी भवंतु२ षट स्वाहा।
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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