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________________ ७२] भर पावती पल्प। ब्रह्मान्तर्गत नाम मापया परिवेष्टितम् । वेष्टितं कामराजेन पाझे पोडशपत्रकम् ।। ११ ॥. भा० टी-नामको क्रमशः ॐ हीं और क्लीं से वेष्टित करके उसके बाहिर मोड दल फमठ पनावे । पञ्चचाणा न्यसेत्तेषु स्वाहान्तोङ्कारपूर्वकान् । तद्वाझे माययावेष्ट्य ऋकारेण निरोधयेत् ॥ १२ ॥ भा० टी०-उन नोटों स्टोंमें 'ॐ द्रां द्रीं छौं ब्लू सः स्वाहा' इस मंत्रको लिखकर बाहर ह्रीं से वेष्ठित करके क्रोंसे निरोध करे। मूर्जे पत्रे पटे पाऽपि बिलिख्य च हिमादिभिः ।। ऊं द्रीं ह्रीं ब्लू सः कारान्त्य मन्त्रं क्षोभकरं जपेत् ।। १३ ॥ भा० टी०-इस यंत्रको भोजपत्र या पत्र पर कपूर और सुगंधित द्रव्योंसे लिखकर क्षोभन करनेवाले 'ऊ द्रीं क्लीं ब्लू सः' मन्त्रका जाप करे।
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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