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हैं भैरव पद्मावती कल्प
पद्मावतीके नाम
तोतला त्वरिता नित्य त्रिपुरा कामसाधनी।
देच्या नामानि पद्मायाः तथा त्रिपुरभैरवी ॥३॥ भा० टी०-देवी पद्मावतीके निम्नलिखित नाम है-तोतला, त्वरिता, नित्या, त्रिपुरा, कामसाधनी और त्रिपुरभैरची ।
ग्रन्थकी अनुक्रमणिका आदौ साधकलक्षणं सुसकली देव्यर्चनाया: क्रमम् । पश्चाद्वादशयन्त्रभेदकथनं स्तम्भाङ्गानाकर्षणम् ।। यन्त्रं वश्यवरं निमित्तमपरं पश्योषध गारुड ।
वक्ष्येऽहं क्रमशो यथा निगदितान फल्पेऽधिकारान्दश ।। ४ ॥ भा० टी०-(१) आदिमें साधकके लक्षण, (२) समलीकरण क्रिया, (३) देवीके पूजनका विधान, (४) द्वादश यंत्र भेद कथन, (५) स्तंभन, (६) स्त्री आकर्षण, (७) वश्यकर्म के यत्र, (८) दर्पणादि निमित्ताधिकार, (९) वशीकरण करनेकी औषधियां तथा (१०) गारुडाधिकारको मैं पूर्व आचार्योंके अनुसार कहूंगा।
इति दशविधाधिकारैललिताऽऽयोश्लोकगीतिसदवृत्तः । विरचयति मल्लिषेणः कल्पं पद्मावतीदेव्याः ॥ ५॥ भा० टी०-इसप्रकार मल्लिषेण आचार्य इस पद्मावतीकल्पको सुन्दर आर्या, गीति और श्लोक रूप अच्छे२ छन्दोंसे दश अधिकारोंमें कहेंगे।