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________________ भैरब पद्मावती प यंत्र संख्या ३९ ज्वर हरण यन्त्र टान्तपकारप्रणयनजान्तार तार्द्धशशि प्रवेष्टितं नाम । शीतज्वर और शीतोष्ण अपरहरणं स्यादुष्णहिताम्बुनिक्षिप्तम् ॥ ३६ ॥ भा० टी० - नामको क्रमशः ठ, प, ॐ, झ और अर्द्धचन्द्रसे बेष्टित करके उसको उष्ण जलसे डालने से शीतल जल में डालने उष्ण उवर नष्ट होता है । होम द्रव्य विधान शाक्यक्षयदूर्वाकुरमयजहोमेन शांतिकं पुष्टिम् । करवीर पुष्पमानात्कुर्यात्स्त्रीणां वशीकरणम् ॥ ३७ ॥ भा० टी० - साठीके भांबळ, दूनके अंकुर और लाल चन्दन के होम से शांतिक भौर पुष्टिकर्म, बाल बनेर के पुष्पों के हवनसे भी स्त्रियोंका वशीकरण होता है । महिषामा प्रतिदिवसं भवति पुरजनक्षोभः । क्रमुकफडपत्र इवनात् राजानो वश्यमायान्ति ॥ ३८ ॥ भा० टी० - महिवाल, गूगढ और पद्म ( कनेर) के होमसे नगरबास्त्री प्रतिदिन क्षोभको प्राप्त होते रहते हैं। सुपारी और नागरमेक मानके हमनसे राजा ढोग बशमें होते हैं। ६
SR No.009990
Book TitleBhairav Padmavati Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMallishenacharya, Chandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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