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________________ उवासगदसाणं परमं ग्रज्भयणं । ३१ निग्गच्छइ, रत्ता जेणेव कोल्लाए सन्निवेसे, जेणेव नायकुले, जेणेव पासहसालार, तेणेव उवागच्छइ", २त्ता पासहसालं* पमज्जइ, रत्ता उच्चारपासवणभूमिं पडिले हेइ, रत्ता दव्भसंधारयं संथर, दब्भसंथारयं दुरुहइ", २त्ता पासहसालार पासहिए दम्भसंथारावगए समणस्म भगवत्रा महावीरस्म अन्तियं धम्मपस्मत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ ॥ ६६ ॥ तर णं से आणन्दे समणावास उवासगपडिमा - ओ" उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ । पढमं उवासगपडिमं" अहासुतं‍ अहाकप्पं अहामग्गं अहातचं सम्मंः कारणं फासेइ, पालेइ, सेाहेड, तीरेइ, कित्ते, आराहेइ४ ॥ ७० ॥ तर णं से आणन्दे समणोवासर दोचं उवासगपडिमं", एवं तच्चं, चउत्यं पञ्चमं, छट्टं, सत्तमं, अट्ठमं, १ A’B सस्मि॰ | २ A Bमित्त नाय० । ३ A पोसह स्साला । 8 A fal ५ A पोसहरमाला । ६DE पडिलेइ । ७ E • संथारं । - D दुरूहइ, E दूरूहइ | CA तिए । १० AC DE पढमं पडिमं, Bonly पडिमं ; see 889. पडिमा । १२ So comm., ABCD E have यहासुत्तं । १३ AB समं | १४ So comm., ABCDE hare only जाव before चाराहेइ; Bhag., p. 283, has किट्टेइ । १५ C adds उवसंपज्जित्ताणं विरह | ११ Bom., C only after
SR No.009989
Book TitleUpasaka Dasha Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA F Rudolf Hoernle
PublisherBibliotheca Indica
Publication Year1890
Total Pages363
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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