________________ DOI सप्तमाङ्गस्य विवरणे स्नानजला शरीरस्य जललूषणवस्त्रं // गन्धकासाईए ति / गन्धप्रधाना कषायेण रक्ता शाटिका गन्धकाषायो, तस्याः // // 23 // दन्तवण त्ति दन्तपावनं दन्तमलापकर्षणकाष्टम् // अम्मलठ्ठीमहुएणं ति प्राण यटीमधना मधररसवनस्पतिविशेषेण // - // 24 // खोरमलएणं ति अबद्धवास्थिकं क्षौरमिव मधुरं वा यदामलकं तस्मादन्यत्र॥ . ! // 25 // सयपागसहस्मपागेहिं ति द्रव्यशतस्य क्वाथशतेन सह यत्पच्यते, कार्षापणशतेन वा, तच्छतपाकम् / एवं सहस्रपाकमपि // ___ // 26 // गन्धट्टएणं ति गन्धद्रव्याणामुपलकुटादौनाम्, अट्टो त्ति चूर्ण, गोधूमचूर्णं वा गन्धयुक्तम्, तस्मादन्यत्र // .. // 27 // उट्टिएहिं उदगम घडएहिं ति उष्ट्रिका वृहमन्मयभाण्डं, तत्पूरणप्रयोजना ये घटास्त उष्ट्रिका उचितप्रमाणा नातिलघवो महान्तो वेत्यर्थः // दुइ च सर्वत्रान्यत्रेति शब्दप्रयोगे ऽपि प्राकृतत्वात्पञ्चम्यर्थे हतीया द्रष्टव्येति // // 28 // खोमजुयलेणं ति कार्यासिकवस्त्रयुगलादन्यत्र || // 28 // गरु' त्ति अगुरुर्गन्धद्रव्यविशेषः // // 30 // सुद्धपउमेणं ति कुसुमान्तरवियुतं पुण्डरीकं वा शद्धपद्म, ततो ऽन्यत्र // मालइकुसुमदाम ति जातिपुष्पमाला // 1 // 31 // मट्ठकलेज्जएहि ति मृष्टाभ्यामचित्रवद्भ्यां काभरण .. 1 0 पागेणं ति। 20 गन्धब्वट्टएणं, e गन्धबट्टएणं / 3ce °कुटादौनामवर्तिचणे / 4 ace घटास्ते उ०। 5 ace अगरु / 6 ace मालतौ०।०० पष्फ / 8 कब्जयेहिं, ce कन्नेज्ज एहिं।