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________________ [३६] पेतो - २७९ पेत्तिविसयं - ५७ पेसकारकजियसुत्तं - पेसलाति - १०४ पेसितचित्ता - १५६, २४८ पेसुञकारकोप - २७४ पेसुञकारकं - २७३ पोक्खरणिं - १२३, १९९, २००, २१५, २६४, २७२, २७३, २७५, २७६ पोक्खरसाति - ६ पोतनं - २२८ पोथुज्जनिकसद्धाय - १७७ पोनोब्भविकाति - ३५० पोनोब्भविकाय - १०४ पोराणकत्थेरा - ३०२ पोराणकुमारो - -२३० पोसावनिकपुत्तत्तापि - ३५७, ३५८ पंस्वागारकीळनं - २०४ फ - ७६ फन्दनजातकं - २४० फरणलक्खणो - १०८ फलकावुधानि – २३९ फलचित्तं - ११४ फलञाणानि - ४८ फलप - ११४ फलविमुत्ति - २१४ फलसमाधिना - १७ फलसमापत्तिधम्मोपि - १२२ फलसमापत्तिविहारेन - १२४, २६७ फलसमापत्तिं - १२३, १२५, २५७, २६७ फलसम्माञाणे - २१४ फलसम्मादिट्ठियं - २१४ फलसम्मासङ्कप्पो - २१४ फलसीलेन - १७ Jain Education International दीघनिकाये महावग्गट्ठकथा फलकचेतियं - १८२ फलिकमया - १८६, २१६ फलूपगरुक्खा - ९ फस्सपञ्चमका - २८२ फस्सवसेन - २८२, २८३, ३२७ फरससमुदयाति - ४७ फस्सोति - ७८, ८१, ८२ फारुसकवनन्ति - २६१ फासुका - ४८, २०० फीतन्ति - १३० फुल्लसालं - २६५ समित्ता- ८९ फुस्सोति - ४ फोटुब्ब १- २८०, २९५ व कसकुणिका - २७६ बदर आमलक - ५ बद्धपिण्डिकमंसो - ३४ बद्धमुखो - १५६ बन्धुजीवकपुप्फसदिसेन - ३७ बन्धुमती - २० बन्धुमा - २० बलकायो - ४१ बलन्ति - ८३ बलभेरिं - १०१ बलवपच्चूससमये - ७६, १५०, १६२ बलवपञ्ञ - ३३९ बलवपीतिसोमनस्सं - १४६, २९७ बलवरागो - ८० बलवविपस्सना - ४६ बलववीरियं - ३४० बलववेदनाय - ३२७ बलवसद्धी - ३३९ बलवसमाधिं - ३३९ 36 For Private & Personal Use Only [ फ-ब] www.jainelibrary.org
SR No.009980
Book TitleMahavaggatthakatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVipassana Research Institute Igatpuri
PublisherVipassana Research Institute Igatpuri
Publication Year1998
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationInterfaith & Buddhism
File Size20 MB
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