SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 361
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [३०] दीघनिकाये सीलक्खन्धवग्गट्ठकथा [प-प] नीवरणाति-४८ नीहरति-१६३, २०६ नेक्खम्मपटिपदं-१७५ नेक्खम्मेन-५९ नेगमाति-२३९ नेमित्तिका-८२ नेलाति-७० नेवसझानासचायतनसमापत्ति- २७७ नेवसञ्ञानासचायतनं-२७७ नेवसञीनासजीवादा-८९ नो-सद्दो- १३२ नोसुत्तनामिका-२४ न्हानकाले -१६८ न्हानकोट्ठकसम्मज्जनउदकुपट्ठापनादिकालेसु-८ न्हानीयचुण्णानि-१७६ न्हापकाति-१३१ पच्चक्खकिरियाय-२८०, २८१ पच्चक्खधम्मो-१०३ पच्चनीककिलेसेहि-२५३ पच्चनीकपटिपदं-३७ पच्चवेक्खणजाणन्ति-२७९ पच्चवेक्खणजाणुप्पादो-२७९ पच्चवेक्खति-१४८ पच्चाजातोति-१४८ पच्चाहरति-१५२, १५४, १५६ पच्चेकबुद्धा-१४३, २०० पच्चेकबुद्धो-१९२ पच्चेकबोधिजाणं-८७ पच्चेकबोधिं-१५६ पच्चेकसाला-२७४ पच्छानिपाती-१३९ पच्छानुतापं-२३८ पच्छाभत्तकिच्चं-४४,४५ पच्छिमदस्सनं-११६ पच्छिमबुद्धवचनन्ति-१६ पच्छिमयामकिच्चं-४४,४६ पच्छिमयाम-४६ पजाननलक्खणं-६० पज्जलितपदीपो-२९० पञ्चकामगुणिकरागो-२७६ पञ्चक्खन्धा-१०७,१०९,१८३,२८१ पञ्चङ्गिकानि-१२५ पञ्चचत्तालीसकोटिविभवो-२८६ पञ्चद्वारे-२६१ पञ्चधनुसतिकं- १७० पञ्चनिकाये-३८ पञ्चमहानदियं-५५ पञ्चविधचेतोखीलविनिबन्धचित्तो-१५४ पञ्चसततापसा-२५६ पञ्चसिक्खापदसीलं-१४७ पञ्चसिखमुण्डकरणं-२३८ पञ्चसीलतो-२४७ पकतझू-२७५ पकतिदुब्बलो-१६६ पकतिवाद-२६६ पकतिविरुद्धं-१६६, १६७ पकुधवादे - १३८ पकुधोति-१२१ पक्कभिक्खमेव-२१९ पक्कुसातिस्स-१९४ पक्खन्दिनोति-१३१ पक्खयुत्तो-१६९ पक्खित्ततिलानि-१५७ पक्खित्ततेलबिन्दु-१७० पग्गहलक्खणो-२५२ पग्गहलक्खणं-६० पग्घरापेतीति-१७ पङ्गचीरं-७८ पचतोति-१३२ 30 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.009979
Book TitleDighnikayo Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVipassana Research Institute Igatpuri
PublisherVipassana Research Institute Igatpuri
Publication Year1998
Total Pages410
LanguageSanskrit
ClassificationInterfaith & Buddhism
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy