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________________ २०७ स्थानकमार्गी अवस्था में चौमासे संसारी अवस्था २५ वर्ष, लुंकामती स्थानकमार्गी ऋषि २४ वर्ष, संवेगी मुनि २६ वर्ष, कुल आयु ७५ वर्ष । सत्यवीर गुरुदेव के चौमासे कहाँ और कब हुए वि० सं० १८८८ में बाईसटोले (स्थानकवासी) संप्रदाय के साधु नागरमल्ल ऋषि से दिल्ली में दीक्षा लेकर साधु बने । नाम - ऋषि बूटेरायजी। स्थानकमार्गी अवस्था में चौमासे संख्या वि०सं० नगर विशेष (१) १८८८ दिल्ली नागरमल्ल के साथ (२) १८८९ दिल्ली नागरमल्ल के साथ १८९० दिल्ली नागरमल्ल के साथ १८९१ जोधपुर तेरापंथी साधु जीतमल के साथ १८९२ दिल्ली नागरमल्ल के साथ १८९३ दिल्ली नागरमल्ल स्वर्गवास (७) १८९४ पटियाला (८) १८९५ दिल्ली विचारों में जिज्ञासा (९) १८९६ अमृतसर कठोर तप (१०) १८९७ गुजरांवाला कर्मचन्द दूगड से चर्चा तथा संघ को प्रतिबोध (११) १८९८ गुजरांवाला पपनाखा तथा किलादीदारसिंह के संघो को प्रतिबोध (१२) १८९९ रामनगर मानकचंद गद्दिया तथा संघ को प्रतिबोध Shrenik/DIA-SHILCHANDRASURI/ Hindi Book (07-10-2013)/(1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [207]
SR No.009969
Book TitleSaddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherBhadrankaroday Shikshan Trust
Publication Year2013
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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