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________________ नगर सद्धर्म संरक्षक से पहले समय के जिनमंदिर २०३ विवरण परिवर्तन (६) पट्टी श्रीविमलनाथजी का विद्यमान है। मंदिर (७) काँगडा मंत्री पेथड शाह ने इनमें से अब कोई भी (जालंधर विक्रम की १३वीं मंदिर नहीं है । मात्र प्रदेश) शताब्दी में यहाँ जिन एक प्रतिमा मंदिर का निर्माण श्रीऋषभनाथजी की है, कराया था । इसके जो यहाँ के किले में अतिरिक्त अन्य भी विराजमान है। अनेक मंदिर थे। (८) फगवाडा श्रीपार्श्वनाथ का मंदिर स्थानक में परिवर्तित हो चुका है। (९) लुधियाना श्री पार्श्वनाथजी का मंदिर विद्यमान है। (१०) फरीदकोट एक जिन मंदिर था। आज से लगभग २० वर्ष पहले यहाँ से प्रतिमाएं उत्थापन करके स्थानक बना लिया गया है। x (११) लाहौर अनेक मंदिर थे। एक इनमें से अब एक भी मंदिर की वि० सं० मंदिर नहीं था। पश्चात् १६५२ में श्रावक एक मंदिर निर्माण सिंहराज मूलराज ने हुआ है। जो विद्यमान मुनिश्री हेमविमलजी से है। प्रतिष्ठा कराकर एक जिनप्रतिमा विराजमान की थी। Shrenik/DIA-SHILCHANDRASURI/ Hindi Book (07-10-2013)/(1st-11-10-2013) (2nd-22-10-2013) p6.5 [203]
SR No.009969
Book TitleSaddharma sanrakshaka Muni Buddhivijayji Buteraiji Maharaj ka Jivan Vruttant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Duggad
PublisherBhadrankaroday Shikshan Trust
Publication Year2013
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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