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________________ समर्थ होंगे। इसको वे पश्चिम में ओवर किल कैपेसिटी कहते हैं। वे कहते हैं कि अगर एक आदमी को हमें सात-सात बार मारना पड़े, तो भी हम जमीन को नष्ट करने में समर्थ हैं। यह बहुत आश्चर्य की बात है। एक आदमी तो एक बार में ही मर जाता है, उसे सात बार मारने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन जो सदी लोगों को विनाश करने के लिए इतनी शक्ति पैदा कर रही हो, उस सदी के संबंध में विचार करना होगा, सोचना होगा, क्या कोई पागल हो गया है? क्या मनुष्य पागल हो गया है? और मैं आपको यह आज कहना चाहूंगा कि जो मनुष्य धर्म से संयुक्त नहीं होता, वह आज नहीं कल पागल हो जाता है। और एक आदमी पागल हो जाए, यह बहुत बड़ा खतरा नहीं है— कोई पूरी कौम पागल हो जाए, कोई पूरी सदी पागल हो जाए, पूरा मनुष्य समाज पागल हो जाए तो क्या होगा ? मैं एक छोटी सी कहानी आपको कहूं, मुझे बहुत प्रीतिकर रही और मुल्क के न मालूम किन-किन लोगों के बीच मैंने जाकर उसे कहा । ईश्वर ने यह देख कर कि मनुष्य को यह क्या हो गया है, उसने दुनिया के तीन बड़े प्रतिनिधि राष्ट्रों के लोगों को अपने पास बुलाया। ऐसा कोई ईश्वर कहीं है नहीं। ऐसा ईश्वर कहीं भी नहीं है, जो किसी को बुलाए। एक काल्पनिक और झूठी कहानी आपसे कह रहा हूं। ईश्वर ने दुनिया के तीन बड़े राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को अपने पास बुलाया - अमरीका को, रूस को, ब्रिटेन को । और उसने उनसे कहा कि तुम इतनी शक्ति तो पैदा कर लिए हो, लेकिन उस शक्ति से तुम कोई सृजन नहीं कर पाते। तुमने इतनी शक्ति पैदा की है, लेकिन उससे जीवन के लिए तुम सहयोगी नहीं बन रहे हो। तुम्हारी सारी शक्ति तुम्हारी मृत्यु बन जाए, यह बहुत आश्चर्यजनक है। अगर मैं तुम्हारे कुछ सहयोगी बन सकूं, अगर मेरा कोई वरदान तुम्हारे काम आ सके, तो वरदान मांग लो। अमरीका के प्रतिनिधि ने कहा, एक ही वरदान हम मांगते हैं - एक छोटा सा वरदान पूरा हो जाए और हमारी सब तृप्ति हो जाएगी। ईश्वर ने प्रफुल्लित होकर कहा, मांगो ! और अमरीका प्रतिनिधि ने कहा, एक हमारी आकांक्षा है कि जमीन तो रहे, लेकिन जमीन पर रूस का कोई निशान न रह जाए। ईश्वर ने बहुत वरदान दिए होंगे। कहानियां हैं हजारों ईश्वर के वरदान देने की, लेकिन ऐसा वरदान कभी किसी ने मांगा नहीं था ! उसने बहुत उदासी और दुख प्रतिनिधि की तरफ देखा । रूस के उस प्रतिनिधि ने कहा, महानुभाव ! एक तो हमारा कोई विश्वास नहीं है कि आपकी कोई सत्ता है। हम मानते नहीं कि ईश्वर है । और पच्चीसों वर्ष हुए हमने अपने मंदिरों और मस्जिदों से, और अपने गिरजाघरों से आपको निकाल कर बाहर कर दिया है। लेकिन हम आपको वापस प्रतिष्ठा देंगे और फिर आपकी मूर्तियों के सामने धूप और दीये जलाएंगे, अगर एक छोटी सी बात पूरी हो जाए तो वह प्रमाण होगा कि ईश्वर है । ईश्वर ने कहा, कौन सी बात ? उस रूस के प्रतिनिधि ने कहा, एक छोटी सी बात, जमीन के नक्शे पर अमरीका के लिए कोई रंग और रेखा न रह जाए। ईश्वर ने बहुत हैरान और घबड़ा कर ब्रिटेन के प्रतिनिधि की तरफ देखा। उसने जो कहा वह मन में रख लेने जैसा है। 71
SR No.009968
Book TitleMahavir ya Mahavinash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRajnish Foundation
Publication Year2011
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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