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________________ इसे स्मरण रखें, कोई मनुष्य केवल पूजा करने को पैदा नहीं हुआ है। और अगर कोई मनुष्य केवल पूजा करने को पैदा हो, तो इससे बड़ा मनुष्य का अपमान क्या होगा? हर मनुष्य महावीर बनने को पैदा हुआ है। कोई मनुष्य केवल पूजा करने को पैदा नहीं हुआ। हर मनुष्य इसलिए पैदा हुआ है कि जो एक के जीवन में विकसित हो सका है, वह प्रत्येक के जीवन में विकसित हो जाए। तो मैं तो ऐसे ही देखता हूं, यहां इतने लोग इकट्ठे हैं, ये सब कभी न कभी महावीर हो जाएंगे। मैं ऐसे ही देखता हूं कि जितने लोग जमीन पर हैं, वे कभी न कभी सब महावीर हो जाएंगे। अगर उनमें से एक भी महावीर बनने से चूक गया- यह कैसे संभव हो सकता है? अनंत काल लग सकते हैं, अनंत समय लग सकता है, लेकिन यह असंभव है कि हममें से कोई भी महावीर बनने से चूक जाए। यह असंभव है कि जो बीज हमारे भीतर है परमात्मा का, वह एक दिन तक परमात्मा न हो जाए। वह एक दिन परमात्मा होगा। यह हो सकता है कि महावीर में और आपके महावीर बनने में हजारों वर्ष का फासला हो जाए। यह हो सकता है कि महावीर के महावीर बनने में और आपके महावीर बनने में अनंत जन्मों का फासला हो जाए। लेकिन इससे कोई बहुत अंतर नहीं पड़ता है। इससे कोई बहुत भेद नहीं पड़ता है। अनंत यह काल है, इसमें हजारों वर्षों से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। अनंत यह काल है, इसमें अनंत जन्मों से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है। तो महावीर का स्मरण मुझे इसलिए आनंद से भर देता है कि वह हमारे भीतर जो महावीर की संभावना है, उसका स्मरण है। महावीर का विचार करना इसीलिए सार्थक है, उपयोगी है कि उसके माध्यम से हम उस संभावना के प्रति सजग होंगे, जो हमारे भीतर सोई हुई है और कभी जाग सकती है। अगर आपके भीतर उनका विचार उनके जैसे बनने का भाव पैदा न करता हो, तो उनका विचार व्यर्थ हो जाता है। तो आज की सुबह मैं आपको यह कहना चाहूंगा, महावीर की पूजा ही न करें, महावीर बनने की आकांक्षा के बीज अपने भीतर बोएं और यह संकल्प अपने भीतर पैदा करें कि मैं उन जैसा बन सकूँ। और इसमें, इस आकांक्षा में, इस संकल्प में जो भी सहयोगी हो, जो भी उसकी भूमिका बनाने में समर्थ हो, उस भूमिका को, उस आचरण को, उस विचार को, उस जीवन-चर्या को अंगीकार करें। ____ मैं ऐसा ही देखता हूं, दुनिया में दो तरह के महापुरुष हुए हैं। एक महापुरुष वे हैं, जिन्होंने बहुत बड़े-बड़े विचार दिए हैं। दूसरे महापुरुष वे हैं, जिन्होंने बहुत बड़ा आचरण दिया है, बहुत बड़ी चर्या दी है। महावीर पहले तरह के महापुरुष नहीं हैं। महावीर दूसरे तरह के महापुरुष हैं, जिन्होंने एक बहुत महान चर्या दी है। एक बहुत बड़ा आचरण दिया है, एक जीवन दिया है। निश्चित ही, बड़े विचार देना उतना मूल्य का नहीं है, जितना बड़ा जीवन देना है। निश्चय ही, बहुत बड़े चिंतन को जन्म दे देना उतना मूल्य का नहीं है, जितना महान चर्या को जन्म दे देना है। विचार तो स्वप्न की भांति हैं। विचार का कोई मूल्य नहीं है, वे तो पानी पर खींची गई रेखाओं के समान हैं। चर्या का मूल्य है। चर्या पत्थर पर खींची गई रेखा है। महावीर का, जो हमारे स्मरण से विलीन नहीं होते हैं वे, उसका कारण है। हमारे हृदयों पर उनकी चर्या ने एक लकीर खींच दी है- उनके आचरण ने, उनके जीवन ने। 19
SR No.009968
Book TitleMahavir ya Mahavinash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRajnish Foundation
Publication Year2011
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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