SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 143
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ है। तुम आए तो सब गड़बड़ हो जाएगा। ये पुरानी आदतें हैं तुम्हारी कि तुम जब भी आते हो, पादरियों की, पुरोहितों की, साधुओं की, संन्यासियों की, पंडितों की सारी परंपरा गड़बड़ कर देते हो। ओल्ड डिस्टरबर! तुम पुराने विध्वंसकारी हो। तो तुम्हें हम भीड़ में नहीं पहचान सकते। भीड़ में अगर तुमने गड़बड़ की तो हमें भी सूली देनी पड़ेगी। क्षमा करना, उसके सिवा कोई रास्ता नहीं है। लेकिन हां, तुम न आओ, तुम आकाश में रहो। हम तुम्हारी प्रार्थना और तुम्हारे चरणों में अर्चना करते रहेंगे। हमेशा-हमेशा हम तुम्हारे भक्त हैं, हम तुम्हारे सेवक हैं। जीसस को कुछ समझ में आया कि नहीं, मुझे पता नहीं, कि क्या हालत थी उनकी। लेकिन यही हालत है। पूजा करने तक ठीक है। लेकिन जीवंत घटना हमारे जीवन को बदलने के लिए तीव्र चैलेंज, चुनौती पैदा कर देती है। और जीवन को हम बदलना नहीं चाहते। हम धर्म को जीना नहीं चाहते। हम केवल पूजा करना चाहते हैं। इसलिए हम जब कोई महापुरुष मर जाता है...। महावीर को शरीर छोड़े पच्चीस सौ वर्ष हो गए। पच्चीस सौ वर्ष से जयंती चल रही है। हर वर्ष स्मरण करने वाले लोग याद करते हैं। और ऐसी व्यवस्था कर ली है कि इन महावीर की जो हमने शक्ल बना ली, जो इमेज हमने क्रिएट कर ली बिलकुल झूठी, उसका असली महावीर से कोई भी नाता नहीं है, कोई भी संबंध नहीं है। बिलकुल झूठी इमेज, मुर्दा, हमारे काम की, जो हमारे हाथ की कठपुतली है। वह इमेज हमको नहीं बदली है। उस प्रतिमा ने महावीर की, उस महावीर की जीवन-दृष्टि ने हमें नहीं बदला है। हमने महावीर की जीवन-दृष्टि को अपने अनुकूल कर लिया है, बदल लिया है। ऑस्कर वाइल्ड एक घर में मेहमान था। उस घर की सुंदर गृहिणी ने वाइल्ड को कहा, मेरे पास आपकी एक तस्वीर है। बिलकुल आप जैसी! इतनी आप जैसी कि कभी-कभी तो मैं इतनी अभिभूत हो जाती हैं कि उस तस्वीर का चुंबन कर लेती हैं। ऑस्कर वाइल्ड ने शंका से सिर हिलाया और कहा, तस्वीर लौट कर चुंबन उत्तर में देती है कि नहीं? उस स्त्री ने कहा कि नहीं, तस्वीर तो नहीं देती। तो वाइल्ड ने कहा, फिर मेरे जैसी नहीं है। मैं तो लौट कर उत्तर देता। वह तस्वीर फिर मेरे जैसी नहीं है। वह तस्वीर है और मुर्दा है, जीवंत से तो उत्तर आता। मृत से कोई उत्तर नहीं आता। ____ हम उत्तर चाहते भी नहीं हैं। हम पूजा कर लेते हैं, अपने घर चले जाते हैं। उस तरफ से हम कोई रिस्पांस, उस तरफ से हम कोई उत्तर नहीं चाहते। क्योंकि उस तरफ का अगर कोई उत्तर होगा तो हमारे प्राण संकट में पड़ जाएंगे। हमें अपने को बदलना पड़ेगा। तो हम कैसे महावीर...जिस महावीर का हम स्मरण करते हैं। वह हमारा बनाया हुआ महावीर है, उस महावीर का नहीं जो था। जिस मोहम्मद को हम स्मरण करते हैं वह हमारा बनाया हुआ है। जिस राम को हम स्मरण करते हैं वह हमारा बनाया हुआ है। असली राम को, असली मोहम्मद को, असली महावीर को तो हम स्मरण कर ही नहीं सकते, क्योंकि उसकी स्मृति तो हमारे सारे जीवन का रूपांतरण सिद्ध होगी। हम अग्निपूजक हैं। हम अग्नि को जलाना नहीं चाहते और न जलाना जानते हैं। और कुछ पुजारी हैं जो जलाना जानते हैं, तो वे नहीं चाहते कि कोई और जान ले। क्योंकि जब तक 136
SR No.009968
Book TitleMahavir ya Mahavinash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRajnish Foundation
Publication Year2011
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy