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________________ महायोर परिचय और वाणी में नहीं रहा जा सकता। यदि मत्य पो तथ्य की मांति रने हा वह इतिहास बन ता है । तथ्य के सभी द्वार म य म जाते हैं, लेकिन जो तथ्य का पपडता है वह यहीं जटपर र रह जाता है। तय्य मत्य की सचम बाहरी परिधि है सबसे बाहरी परसा । तथ्य मत्य नहीं है, मिफ सत्य को सम्मावा है। जीवन बहुत टि-है परिए हम एम ही तथ्य का बहुत तरह स देख सकन । सिम्पर यह है रि महावीर अविवाहित रह । प्यताम्बरा यो धारणा है कि व न केवल विवाग्ति थे बल्पि उ ह एव बेटी भी थी। मरा माना है कि महार का विवाह जरूर हुआ हागा, लगिरा 4 विल्कुल अविवाहित की मानि रह हो। जिहाने "म तय्य वादेगा उहान कहा रि महावीर का विवाह हुआ था और जिहाने मया -वेवर गत्य का-या, उहाो घोषणा की कि वह जानमा अविवाहित था। महायोर का अविवाहित होना एक सत्य है और विवाहित होना ए५ तथ्य । याइ व्यक्ति विवाहित हारर भी अपन मन स, चित रा, वासना स अविवाहित हो गया है। विवाहित होन की वासना है कि मैं अयस्त पापी ही, अपन म पयाप्न नहा । दूसरा भी चाहिए जो आए और मुझे पूरा परे। पुग्प ये पिना म्या पाली और अपूरी है। पुरप आए और उसे मर । दिगम्बरा न ठीक ही पहा कि महावीर अविवाहित थे । महावीर म किमी से पूरे होने को माई कामना हा न बची थी वही पाइ अधूरापन 7 था। इस साधारण तप्प के एि कि उनवा विवान नुआ था, उहें निवाहित पहा पार अयाय है । हो सकता है कि पनी ने पति पापा हा, लेशि महावीर ने पनी नहीं पाई। यह भी हो सकता है पि पत्नी नासे Tतान मी पाहा । लेगिन गहायोर न ता पिता थे और न पति । विवाह करन और मतान पना परन पी पटना मयत वाह्य तल पर घटी थी। भीतर मावीर पू । जमी पर 7 रन के लिए दिगम्बरा रे पहामिइस आदमी न पमा शासनहा का। पिन राप्य पद या नि महावीर न गादी पी थी। उहनि गारी एवार नहीं मिग हागा। शादी में लिला मार व्यक्ति ही स्त्री या मरम्य नहीं दना यह व्यक्ति नीदता है जापानी लिाइनर परता है। ज्ञापार मरना भी माना हैनिम्त्री भी पुष १ जा पास होगी ता में पुE और हा पाऊगा। मरायो दान मरगर नि बरन तर पा उपाय Tपा ठीक है, पाना है तानाए हा पानी ता न आए । यता बातें अबहान | TT जीरानी - नाना मे भी पता पिपही या गप रही रागी। एनिमहावीर । अपन सिा से मायागी हा सीनामा nिt परे रहा र मापीर पो ! समा जापी पद। T, गणमानी मामा मागनी परती है 'ना है कि मा माया 2 fuaryामने ? म यो माया मामाग्य! गा माना
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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