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________________ प्रथम अध्याय महावीर को जीवनधारा महावीर का मार्ग कह चरे। यह चिट्ठे ? हमासे? यह मए? यह भुजन्तो भाम तो पाव चम्म न व धइ ?' --दरा०अ०४गा०७ महावीर को जा जीवनधारा है यह पुरप की है। पुरष और स्त्री ये मानस म बुनियादी भेद है। स्त्री के पास जो मन है वह निस्त्रिम है, 'पसिव है, पुरेप का मा मायामा-ऐनमित्र-है। स्त्री प्रेम भी करता आश्रमण नहा करेगी--वह वटकर अपने प्रेमी की प्रतीक्षा करेगी। वह जा पा सकती उठार उममे पाम । यह प्रम परली है सही पर विवाह का प्रस्ताव नहा परती प्रतीला परती है कि पाव उमा प्रेमी प्रम्ताय पर। हो यह प्रस्ताव के लिए योजनाएं बनाती है प्रयत्न करती है कि प्रस्ताव दिया जाय । सपिन प्रस्ताव दिए जान पर वह सीधे 'हाँ नहा मरती क्यापि हा मी मात्रामा है। ना' को यह धार धीर हा परीव लानो है। निगटिव है उमा मानस । उसका शारीरिव र नी निगेटिव है 'पातिटिय हो। इसरिए यह पुरुप पर बगसार नहीं परनी हमा नहा परती। यति पुरप राजी नहीं है नो उमा माप वह बाम सम्पप स्थापित नहा पर सरती। रविश यति स्त्री राजी Tमी होतो पुरप उसमे साप सम्माग पर सपना है धमिधार पर सपता है। महावीर की बीवाशितना पुरेप पी जावन चिनना । । गनिए नर मागम म्नीमा मा पा पापाय नहीं है। हमारा मन पर हा त्रिी मापनी अधिकारिलोकहीं। इमरामनाम पायल दता है मगर ममातम TIT नहीं मिल ममता ! उस पर चार पुपातिम TA Pा , सा यर माग की ओर अनारा गरी । हावीर नी परम्पा माल्पा है, आर आरमामा नापार घा मग मात्रमा माग उमर रिलायो। m -मय जाnिा हो ।मालित TO हायार' मा पा | 71 १ नस! मग?गेगाहोगे यह रोमा ? समान पर पोपा ?--मिगे पाव- पोरापान।
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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