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________________ सकता। इसलिए आम माघी खुली हैं, आधी बद हैं। औसा या मध्य म हाना ठहराव का सूचर है। अर रही योई गति नही, वही आना जाना नहीं। न पीछे सौग्ना ह, नाग जाना । __ अन विचारणीय है लि जहाँ चीनीम तीयाग की मूनियां एक जसो हैं यहा युद्ध और महावीर की एव जसी नही, यद्यपि दाना समकालीन थे। इन नाना पो मूतिया एप जमी हो साती धी। लेकिन नहीं हुई, इमया भी कारण है । ध्यान रह मि चौवीस तीयवरा की एक विशिष्ट धारा है। इस धारा न साचन या एक ठग निर्मित पिया है, अभिव्यक्ति की एव मातिय भापा-~-कोर रंग्गज निर्मित की है । एप भापा एवं ढग, एक प्रतीप पी व्यवस्था हुई है सदा की परिभाषा और उनके प्रयोग या ढग निर्मित हुआ है । परनु यह गाई तीधर निर्मित हा करता, उसर हो। सस्पन निमित हारा है उसकी, माजी म निर्मिन होता है। महावीर पर नापर यह पारा सम हो जाती है। युद्र एक नई धारा के लिए प्रारम्न हैं। इस कारण उन्हें जार दवर यहा पर मिव महावीरवारी पारा म मिन्न है। उहें गालि या य पुराना पारा से जुड Tजायें इसलिए उन्हें यहुन मरत हाना पड़ा। जौर मी पारण जहरी महावीर न युद्ध य सिरप एर” मी नहा यहा यही बुद्ध । पर वार महावीर या पान पिया और यात कठार - महे । यस्तुन महागोर पर थे, बुद्ध जया, मरायीर विना हा रह पे और बुद्ध या बागमन हो रहा था। उनर लिया भट याना एकम जारी था। इगरिा उहान साताप महा पि मगवीर मी परम्पा ग म युध रेना * हा वह पिपुर गत है मेष माना गि हाती हुई घयाया है, उसरा मम्मच जाटा तान व्यरत्या जागाम वाया उपस्थितगा। इम गम्मच म यर भी घ्यारा यार है कि मगवीर परियामा पारा प्रमाणित परतो है यह पारग पारी मि पारी पारि पारी पारा है। एग व्यक्तित्व निमाम था। जनरगर है। गया माग गरायो पारा प्रमाणित पर गाती।। युद्ध yिfm पररग पति है। गरे सरिता मोरना याना' । उनी या जागवीर ग सामागि सा पर पाया। सिर और मापीर पार पाग है, मारा Imfrman Tो पारा । महापार बार गाय form है। मगर मानिया या पाद ITTET नाम माग ता पापा। मारा निम पाणिमिती ग मगर निनु र ग । नरियाग रति rf ना पागण और ruirएर मा - TRATE पार पर जिगर नए पदामि ।
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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