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________________ महावीर परिचय और वाणी २३१ है। यह जानकर आपका आश्चय होगा कि जाप अपनी ही धारणाओ से प्रभावित नही हाने आपरे निक्ट धारणाआ के जा प्रवाह हैं उनस भी होत है। इसलिए महा वीर ने कहा है कि अज्ञानी स दूर रहना मगल है नानी क निक्ट रहना मगल है। चेतना जिपयी स्वस्थ है उसके सानिध्य म रहना मगल है । जिस वातावरण मेधारणाएं पुभ हो उराम रह्ना हितकर है। (३) रस के एक विचार का नाम है डॉ. सिलोव । उनक यात्रिय आविष्कारा स पता चलता है कि पटोसी की धारणाएँ भी हम प्रभावित किए बिना नहीं रहता। उनका कहना है कि जो धारणा एक के मन म पना हुई, उसके वतुर आसपास फैल जाते हैं और दूसरा को पकड रेते है । आपको शायद पता नहीं कि आपको जो क्रोध हुआ है वह आपया नही है । शायद वह आपके पडोसी या है। (४) जिस राष्ट्र के हाथ में धारणा का प्रभावित करन वे मौलिक सूत्र आ जाएंगे, उस राष्ट्र का अणु धी गति से हराया नहीं जा सकता । सच तो यह है कि जिनके हाथ मे अणु बम हा, उनका भी धारणा मे ऐमा प्रभावित पिया जा सकता है कि वे उन्हें अपन ऊपर ही फेर लें। यदि कोई हवाई जहाज वम फेरने आ रहा हो तो उसने चालक या प्रमाविन किया जा सकता है कि वह वापस लौट जाय और अपनी ही रागवानी पर बम गिरा दे। इसरिए नामार नामक विचारस का कहना है कि पारणा की गक्ति ही अब युद्ध म आखिरी अस्त्र सिद्ध हाने जा रही है। वनानिक धारणा को गति पर काम करने म जुटे हैं। स्टालिन जैस लागावी उसुरना तो इस शक्ति ये विनावारी पत्र यो भार थी, पर महावीर जमे लाग इसके निर्माण और सुजनवारे पाम ही दिल यम्मी रसते थे। इसलिए उनकी मगल की धारणा है। महावीर ने कहा है-भूलकर भी, कमी स्वप्न म भी काई बुरी धारणा मत करना क्यापि उमा परिणाम पुरा ही होता है। माप राह मे गुजर रह हैं । आपरे मा म सयाल भर आता है कि इस आदमी पी हत्या पर दू। आपन बुक रिया नहा, वम गयाल पिया या मन म साचा कि इम दुपान र अमुक ची चुरा एं। आपन न हया पी आर न चोरा रेविन क्या आप निश्चित हो सकते हैं कि राह म मिमी हपारे या चार न आपरा धारणा न पपरी हागी (५) माँ अपन बच्च पे जाापी यामना करती है कहती है पि वह घडा हो, पिए। तेरित किया क्षण पोप में यह यह भी कर दना है कि यह जनमन ही मर जाता तो ठीक था । वचारी मो या पना TT शिपार दफा उसने या पामना मी है भार एप दपा मग या भी। उगी सभी गुम यामनाएँ इम अतुन पामना में गारण विकास हा उटी हैं मर गई हैं। उमे जानना चाहिए कि मनु या पोई भी पारा व्यय नहा जाती।
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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