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________________ महावार परिचप और वाणी Tए अय को राया म रग। त्याग या अप बुरा छाडना ही, विराट या पाना है। रेमिा त्याग गम में पतरा है. मारण rि उसम छोडने का भाव छिपा हुना है। मरी दृष्टि म महावीर या बद्ध या पृषण-जसे लोगा यो स्यागी पहने म चुनियानी भूर है। इनमे वहा भागी सामना असम्भव है । रयाग या अय है कुछ छाडना, नाग पा अय है पुछ पा 1 महावीर से यहा पोई भोगी हाना टासम्भय है ययारि जगत मजा भी डराती गया है-उपा भाग भी अनत हा गया है। एस विराट को पागने यी गामध्य शुद्र चित्त में नहीं हाती। , धुर पो हो नाग ममता है इसलिए वह क्षुद्र यो पर ऐता है। पर पूरा नहीं है महावीर पा, सिप यहा हो गया है । पदी न पा पो सागर म छा दिया है। अब उगमा योई पिनारा रहा है। जीवन पी मान मूरत दिनारा यो छाहा की या बडे मिनारा पापा को सहै। जिसमा अगीम और अनत मिल जाता हो उससे यदि हम पूपि तुमने पिनार यया घाटे ता यया उत्तर देगा वर? यह सिपा हमगा मोर महगा कि जाओ, अपने रिनारा माघार देखो वि पया पाया है। मरा सरह है हि त्याग पो या ना और यर लिया जाय पिराट भाग पर। मेरी अपना समय है कि हिमो अपन महापुरुषा पा त्याग से बाय लिया है माि हम उन नियर नहीं पहुय पात । इमरा गारण यर है जित्याग हमfrसी या मा-अपीर ही पर सपना। बहुत गहरे म रयाग या सातही पिंप पी यात है। घाटा यामपाती है। स्वम्प नागना चाहता है, छोगा पाहता है क्यामि यह भोग हा मरता। इसरिए बीमार और मामपाता चित - साग पटो हो रायगे पम पे नाम पर । गरिए ता राग पहो। गायरया पर पीमा जारा? पर ता पजावस्था - for निा मतिरा, मारा और गिरगों मयाग निपाद पररा है। मैं पहा मासा और ज्या गा। पर माना या मागा, माल उमा नागया। था पर मा पर जाना । विराट र सामन रोमा। दस पद जारा सागर म । मागा सागर । माrst माशय पिस पापाय मा पार पाही। मरिश साम गि T मशजार comसा गदिरा नगरिए बामति पता पाए । भना रामा। नाय माग ग पर सा र मी पिया गाय गो पारा भादार परामपामा FFrमारम बिगर मारमा पाप! TIT मागर पाmar पर तीनही ए बापापन ग पात पर आ गया। गारको सरकार सामागार भापामार माTERI बारपार कि ?
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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