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________________ 80. 81. ठाणं 4/241-245 का टिप्पण संख्या 43-47 में उद्धृत- स्थानांग, वृत्ति पत्र 199 आवश्यक सूत्र/ विकथा सूत्र ठाणं 4/241 ठाणं 9/3 समवाओ9/1 दसवेआलियं 8/49 वही 8/52 उत्तरज्झयणाणि 16/4: टिप्पण संख्या 6 में उद्धृत(अ) चूर्णि, पृ. 242 (ब) वृहद् वृत्ति, पत्र 424 समवाओ 9/1 के टिप्पण में उद्धृत- आव. वृत्ति (आ. हरिभद्र) भाग-2: पृ. 104 ठाणं 4/242 ठाणं 4/241-245 का टिप्पण संख्या 43-47 में उद्धृत स्थानांग वृत्ति, पत्र 199 ठाणं 4/241-245 का टिप्पण संख्या 43-47 में उद्धृत स्थानांग वृत्ति, पत्र 87. O 199 ठाणं 4/241-245 का टिप्पण संख्या 43-47 में उद्धृत स्थानांग वृत्ति, पत्र 199 ठाणं 4/241-245 का टिप्पण संख्या 43-47 में उद्धृत स्थानांग वृत्ति, पत्र 199 ठाणं 4/254 ___ठाणं 4/241-245 का टिप्पण संख्या 43-47 में उद्धृत स्थानांग वृत्ति, पत्र 121 96. ज्ञाताधर्मकथा सूत्र 16/201-206 97. आचारांग भाष्यम् 5 (4)/87 98. सूत्रकृतांग (1)/4/11 के टिप्पण संख्या 34 में उद्धृत 99. प्रश्नव्याकरण सूत्र 4 100. दसवेआलियं 8/41,52 101. उत्तरज्झयणाणि 16/2 102. आवश्यक सूत्र/ विकथा सूत्र 157
SR No.009963
Book TitleJain Vangmay me Bramhacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinodkumar Muni
PublisherVinodkumar Muni
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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