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________________ योगशास्त्र में कहा गया है कि जैसे घी की आहुति देने से अग्नि बुझती नहीं, बढ़ती है वैसे ही काम का उपशमन करने के लिए काम का सेवन करने से काम बढ़ता है। यह विपरीत प्रयास है। सूत्रकार के शब्दों मेंस्त्री सम्भोगेन य: कामज्वरं प्रति चिकीर्षति। स हुताशं घृताहुत्या, विध्यापयितुमिच्छति।। 2/81 जो पुरुष विषय वासना का सेवन करके काम ज्वर का प्रतिकार करना चाहता है, वह घी की आहुति के द्वारा आग को बुझाने की इच्छा करता है। संबोधि में आचार्य महाप्रज्ञ कहते हैं कि विषयों के सेवन से विषय वासना दृढ़ हो जाती 2.5(6) भय कारक - आचारांग सूत्र में विषयाभिलाषा को महाभयंकर कहा गया है। क्योंकि यह प्रिय और मृदु उद्दीपनों से उद्दीप्त होती है और वेदना को उत्पन्न करती है। चूर्णिकार कहते एतो व उण्हतरीया अण्णा का वेयणा गणिज्जंति। जं कामवाहिगहितो डज्झति किर चंदकिरणेहिं।। अर्थात् इससे अधिक उष्णतर, तीव्रतर अन्य कौन सी वेदना होगी कि कामरूपी व्याधि से ग्रस्त व्यक्ति चंद्रमा की शीतल किरणों से भी जल जाता है। 162 कहा जाता है कि गधे को रात में नहीं दिखता और उल्लू को दिन में नहीं दिखता। परंतु जो व्यक्ति कामांध होता है उसे न दिन में दिखता है और न रात में दिखता है। वासना के आवेग में व्यक्ति बड़ा क्रूर हो जाता है। ऐसा कोई भी कार्य नहीं होता जिसे वह न कर सके। इसलिए दसवैकालिक सूत्र में भी अब्रह्मचर्य को महाभयानक कहा गया है। 103 अब्रह्मचर्य उभयमुखी भय का कारक है। अर्थात् स्वयं के लिए भी और दूसरों के लिए भी भयप्रद है। 2.5(7) अविवेक जनक - अब्रह्मचर्य को अविवेक का जनक कहा गया है क्योंकि आचारांग सूत्र के अनुसार विषयासक्त मनुष्य मोहग्रस्त होता है, इससे वह करणीय और अकरणीय का विवेक नहीं कर पाता। उदाहरणत: स्त्रियां भोग सामग्री नहीं है फिर भी वह इन्हें भोग सामग्री मानता है। 184 ज्ञानार्णव में इसका विस्तार देते हुए कहा गया है कि कामी व्यक्ति वस्तु स्वरूप को जानता हुआ भी नहीं जानता तथा देखता हुआ भी नहीं देखता। तात्पर्य यह है कि काम से पीड़ित मनुष्य की विवेक बुद्धि नष्ट हो जाती है। " भगवती आराधना और सर्वार्थसिद्धि में भी कामुकता का परिणाम विवेकहीनता बताया 103
SR No.009963
Book TitleJain Vangmay me Bramhacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinodkumar Muni
PublisherVinodkumar Muni
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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