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________________ यामानी अर्थ — ज्वालामालिनी देवीके हृदय और अपहृदय मंत्रोंके द्वारा पूजन जाप और हवन करनेसे स्त्री, राजा, शत्रु, और भूत वश में हो जाते है ॥ ४६ ॥ मधुरत्रयेण गुग्गुलदशांगपंचांगधूप मिश्रेण । जुहुयात्सहस्रदशकं वशंकरोतीन्द्रमपि कथान्येषु ॥ ४७ ॥ अर्थ — घृत, दुग्ध, शर्करा, गूगल, दशांग और पंचांग धूपको मिलाकर उससे दश सहस्र हवन करनेसे इन्द्र भी वश हो जाता है। औरोंकी तो क्य। कथा है ॥ ४७ ॥ इतिश्री काचार्य प्रणीत अर्थमें श्रीमान् इन्द्रनन्दि मुनि विरचित प्रथमे पाडामालिनी कल्पकी प्राच्य विद्यावारिधि काव्य साहित्य तीर्थाचार्य श्री चन्द्रशेखर शास्त्रो कृ भाषाटीका में "बश्य यंत्र अधिकार" नामक षष्ठ परिच्छेद समाप्त हुआ ॥ ६ ॥ म पार छ । अथ सप्तम परिच्छेद सर्व वशीकरण तिलक शरपुंखी सहदेवी तुलसी कस्तूरिका च कर्पूरं । गोरोचना गजमदो मनः शिला दमन कश्चैव ॥१॥ L ९१ अर्थ- शरपुंखी, सहदेवी, तुलसी, कस्तूरी, कपूर, गोरोचन, गजमद, मनःशिला, दमनक ॥ १ ॥ जातिशमी पुष्पयुगं हरिकान्ता चेति दिव्यतंत्रमिदं । समभागेन ग्रहीत तिलकं कुरु भुवनवश्य करं ॥ २ ॥ अर्थ – जातिपुष्प, शमीपुष्प और हरिकांता को समभाग लेकर तिलक करनेसे सब लोक वशमें हो जाते हैं, यह दिव्य तंत्र है ॥ २ ॥ लोक वशीकरण तिलक और अंजन एलालबंगमलयजतगरोत्थलकुष्टकु कुमोशीरः । गौरोचनादिकेशरमनशिला राजिकाकुटजं || ३ || अथ - इलायची, लौंग, चन्दन, तगर, कमल, कूट, कुंकुम, उशीर, गौरोचन नागकेशर, मनशिल, राजिका (लखों) कुटज || ३ ||
SR No.009957
Book TitleJwala Malini Kalpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages101
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size109 MB
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