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________________ SEaru चतुथ पारच्छद । LI चक्र, वाराहीके शक्ति, और पाश ऐंद्रीका बन, चामुण्डाके कपाल और बत्ती, और महालक्ष्मीका परशु अस्त्र है॥१८॥ आठ दंडकरी देवियां मिटर तत्प्रतिहाय्य विजया विजयाप्य जिता अपराजिता गौरी। गांधारी राक्षस्यथ मनोहरी चेती दंडकराः ॥ १९॥ अर्थ-उनके पीछे चलनेवाली क्रमसे जया, विजया, अजिता, अपराजिता, गौरी, गांधारी, राक्षसी और मनोहरी, दण्ड करनेवाली हैं ॥ १९ ॥ १६ _ज्वालामा दिनी कल्प। वा व अष्ट मात्रका गणोंका वर्णन ब्रह्माणी माहेश्वर्यथ कौमारि वैष्णवी च वाराही। एंद्री चामुंडा च महालक्ष्मी मातृका श्वेताः ॥१५॥ अर्थ-ब्रह्माणी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, ऐंद्री, चामुंडी, और महालक्ष्मी, ये मात्रका गण हैं। वर पचराग शशिधर विद्रुम नीलोत्पलेन्द्र नौल महा। Lकुलशैल राज बालार्क हंस वर्णः क्रमेणताः ॥ १६ ॥ २. अर्थ-इनके रंग क्रमसे सुन्दर, पद्मराग (लाल), चंद्रमा, मूंगा, नीलकमल, इंद्र ने लमणि, सुमेरुपर्वत, बालसूर्या और हंस हैं। अर्थात प्रत्येक देवको क्रमसे इनके समान रंगवाली बनावे॥ नौरजवृषभमयरा गरुडवराहगजस्तथा प्रेतःnmot मृषक इत्येतासां प्रोक्तानि सुबाहनानि बुधैः ॥ १७ ॥ अर्थ-पंडितोंने इनके बाहन क्रमसे कमल, बैल, मोर, गरुड, वराह, ऐरावत, प्रेत, और चूहा बतलाये हैं ॥ १७॥ भकमलकलशौ त्रिशूलं फलवरदकशौच चक्रमथ शक्तिः । "पाशौ बज्र च कपालबर्तिके परशुरस्त्राणि ॥ १८ ॥ अर्थ-इनमेंसे ब्रह्माके कमल और कलश, माहेश्वरीका त्रिशल, कौमारीके फल और वरको देनेवाला कोडा, वैष्णवीका बाह्याष्ट दिशवथ कोष्टे बिंद्रादि लोकपालांस्तान् । मिजवाहनानिरूढान् स्वायुधवर्णानितान् विलिखेत् ॥ २० ॥ अर्थ-अब दिशाओं के बाहर आठ कोठोंमें उन इंद्रादि लोकपालोंके अपने२ बाहन पर चढे हुए शस्त्र और वर्ण सहित लिखे ॥ २०॥ARETTE तदुभय पार्थाथ स्थित दिष्टित कोप्टेविंद्रादि लोकपालानां । मेघ महामेघ ज्वाल लोल कालस्थितनीलः ॥ २१ ॥ अर्थ-उन इन्द्र आदि लोकपालोंके कोठेसे ही उनके दोनों तरफसे दो दो प्रतिहारोंको बनाये जो क्रमसे इस प्रकार हैं ॥ २१ ॥
SR No.009957
Book TitleJwala Malini Kalpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages101
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size109 MB
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