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________________ ___ ज्वालामालिनी कल्प। अर्थ-नव तत्वों से एकर को लिखे, वह यह हैंद्रां, द्रीं, क्लीं. ब्लू, सः, हां, आं, क्रों, क्षीं। फिर क्रमसे विंध्यके नौ पदोंको लिखेम उसके पश्चात् तीसरे कोठेमें तीन गुण चार अर्थात् बारह पिंडोंको लिखें जो यह हैं-"क्षल्ब्यू', हव्यू', मन्व्यू. मन्यू, यल्व्यूं', पल्यू, धन्व्यू, अन्व्यू' खल्ब्यू, छम्ल्यू, कल्व्यू कम्ल्यू।" मला : . । अत्राष्टमे समुद्देशे द्वादश पिंडाक्षाकार पिंडाद्याः । हा स्तंभादिषु ग्रहाणां निग्रहणं चापि वक्ष्यन्ते ॥ ११ ॥ 10 अर्थ-इन बारह पिंड आदिको आगे आठवें समुद्देशमें ग्रहोंके स्तम्भन तथा निग्रह आदिके साथ लिखेंगे ॥११॥ विलिखेच जयां विजयामजितां अपराजिता स जमा ।। मोहां गौरी गांधारी चक्रों ब्लू पार्श्वेष्व ॐ जादिकाः ॥१२॥ स्वाहान्ताः क्षीं क्लीं पार्श्वस्थेष ह्रां ह्रीं ह्र हौं ह्रः चतुः कोष्टेषु विलिखेत् ।। रेखाग्रेष्ठखिलेषु च वज्रान्यथ वज्रपंजरं प्रोक्तम् ॥१३॥ अर्थ-जया, विजया, अजिता, अपराजिता, जंभा मोह, गौरी, गांधारी, क्रों, ब्लं, का, क्षी, और. तृतीय परिच्छेद ।। momponsomnoism ही को, आदिमें ॐ। और अंतमें, स्वाहा, लगाकर बारह बिंदु पदोंके स्थान में लिखे। वह इस प्रकार हैं। ॐ जयायै नमः । ॐ विजयायै नमः । ॐ अपराजितायै नमः। ॐ जम्मायै नमः। ॐ मोहायै नमः। ॐ गौर्यै नमः। ॐ गांधाय नमः। ॐक्रोनमः। ॐ ब्लू नमः। ॐ श्लीं नमः। ॐ क्लीं नमः।चारों कोठोंमें " ह्रां ह्रीं है हौं हः" इन पाचों शून्योंको लिखे। और सब रेखाओंके अग्र भागमें बज्रोंको लिखे। यह वजमय लिखे । यह वज्रमय पंजरका वर्णन किया गया। पिंडेष ह भानां देव्य विधानं पृथक् पृथक् लिख्यं । तान् स्त्री नेके नैव प्रवेष्टयेन्मध्य पिंडेन ॥ १४ ॥ अर्थ-पिंडोंके लिखनेमें ह, म, आदि अक्षरोंको पृथक्पृथकरूपसे लिखकर पिंडोंके अन्दर सावधानीसे लगावे । फिर मध्य पिंडके द्वारा देवीको वेष्टित करे ॥१४॥ रक्षक यन्त्र खरकेशर मष्टदलं कमलं बायै क्रमाद्दलेषु लिखेत् । ... अष्टौ ब्राह्मण्याद्या ब्रह्मादि नमोन्तिमा मातः ॥ १५ ॥ अर्थ-परागमें ज्वालामालिनीदेवीको लिखकर उसके चारों ओर अष्टदल कमल बनावे जिनमें क्रमसे आठों ब्राह्मणी आदि माताओंको आदिमें ॐ और अंतमें "न" लगा कर लिखे ॥१५॥
SR No.009957
Book TitleJwala Malini Kalpa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages101
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size109 MB
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