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________________ ४) लयाओ पुप्फाई पडंति । लताओं में से फूल गिरते हैं । ५) अहं गयाओ पडेमि । मैं हाथी से गिरता हूँ। ६) अम्हे जिणधम्मं जाणामो । हम जिनधर्म को जानते हैं । ७) ते मट्टियाए सुवण्णं गेण्हंति । वे मिट्टी में से सुवर्ण का ग्रहण करते हैं । ८) बालय ! तुमं ओयणं इओ तओ किंखिवसि ? बालक ! तुम ओदन (चावल) इधर उधर क्यों फेंक रहे हो ? ९) तुम्हे देवसमीवं चिट्ठह । तुम सब देव के समीप खडे रहो । १०) छत्ता पाइय भणति । छात्र प्राकृत बोलते हैं । ११) अहं मेहं पासामि । मैं मेघ को देखता हूँ। १२) अम्हे पाढसालं पभाए गच्छामो संझासमए आगच्छामो । हम सुबह पाठशाला जाते हैं संध्यासमय में आते हैं । १३) सो गणियं पढइ । वह गणित पढता है। १४) अंधो हत्थेण वत्थं फुसइ । अंधा हाथ से वस्त्र को स्पर्श करता है । १५) राया किंकराणं उच्चावयं भासइ । राजा नौकरों से अनापशनाप बोलता है ।
SR No.009954
Book TitleJainology Parichaya 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherSanmati Tirth Prakashan Pune
Publication Year2011
Total Pages39
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size265 KB
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