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________________ (५) सप्त व्यसन - १) मद्यपान २) मांसभक्षण ३) वेश्यागमन ४) परपुरुषगमन/परस्त्रीगमन ५) शिकार ६) जुआ ७) चोरी (E) आचार (Observance or Conduct) (१) रत्नत्रय - १) सम्यक्-दर्शन २) सम्यक्-ज्ञान ३) सम्यक्-चारित्र (२) पाँच महाव्रत - १) प्राणातिपात-विरमण (अहिंसा) २) मृषावाद-विरमण (सत्य) ३) अदत्तादान-विरमण (अस्तेय, अचौर्य) ४) मैथुन-विरमण (ब्रह्मचर्य) ५) परिग्रह-विरमण (अपरिग्रह) (३) पाँच समिति - १) ईर्या-समिति २) भाषा-समिति ३) एषणा-समिति ४) आदान-निक्षेप समिति ५) उत्सर्ग-समिति (४) तीन गुप्ति - १) मनोगुप्ति २) वचनगुप्ति ३) कायगुप्ति ६) संयम (५) दशविध धर्म - १) क्षमा २) मार्दव ३) आर्जव ४) शौच ५) सत्य ७) तप ८) त्याग ९) आकिंचन्य १०) ब्रह्मचर्य (६) बारह अनुप्रेक्षा (भावना) - १) अध्रुव भावना २) अशरण भावना ३) एकत्व भावना ४) अन्यत्व भावना ५) संसार भावना ६) लोक भावना ७) अशुचि भावना ८) आस्रव भावना ९) संवर भावना १०) निर्जरा भावना ११) धर्म भावना १२) बोधि भावना
SR No.009954
Book TitleJainology Parichaya 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherSanmati Tirth Prakashan Pune
Publication Year2011
Total Pages39
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size265 KB
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