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________________ क्रियापद : भक्ख (खाना) पुरुष प्रथम पुरुष द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष १) वस रहना । अहं गिहे वसामि । - मैं घर में रहता हूँ । २) उवविस - बैठना । अम्हे आसणे उवविसामो । - हम आसन पर बैठते हैं । ३) गुंफ - गूँथना । तुमं मालं गुंफसि । - तू माला गूँथता है । ४) जीव - जीना । तुम्हे सुहेण जीवह । - तुम सुखपूर्वक जीते हो । ५) सुव - सोना । सो गाढं सुवइ । - वह गहरी नींद सोता है । ६) पढ - पढना । ते पोत्थयं पढंति । वे किताब पढते हैं । सर्वनामसहित वर्तमानकाल के क्रियारूप एकवचन अहं भक्खामि (मैं खाता हूँ ।) तुमं भक्ख (तू खाता है ।) सो भक्ख ( वह खाता है ।) अनेकवचन अम्हे भक्खामो (हम खाते हैं ।) तुम्हे भक् (तुम खाते हो ।) भक्त (वे खाते हैं ।) कुछ प्राकृत क्रियापद (धातु), उनके अर्थ तथा वाक्य
SR No.009952
Book TitleJainology Parichaya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherSanmati Tirth Prakashan Pune
Publication Year2009
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size137 KB
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