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________________ पिंगलक ने कहा , “वह कैसे ?" दमनक ने कहा नील के बरतन में गिरे हुए सियार की कथा "किसी जंगली प्रदेश में चंडरव नाम का सियार रहता था। एक समय भूख से व्याकुल होकर वह जीभ के लालच से नगर में घुस गया। उसे देखकर चारों ओर से कुत्ते दौड़कर भोंकते हुए उसके शरीर में दाँत गड़ाकर उसे काटने लगे। उनसे काटे जाने पर वह सियार अपनी जान बचाने के लिए पास ही में एक रंगरेज के घर में घुस गया। वहां नील के रंग से भरा हुआ एक बड़ा भारी बरतन तैयार था। कुत्तों से पिछियाए जाने पर वह उसी. बरतन में गिर पड़ा। जब वह उसके बाहर निकला तो वह नीले रंग का हो गया था। दूसरे कुत्ते जो वहां पर थे,उसे सियार न मानकर अपनी मनचाही दिशा को चले गए। चंडरव भी दूर देश में जाकर फिर वहां से जंगल की तरफ चल दिया। नील अपना रंग कभी नहीं छोड़ती। कहा भी है"सहरेस की, मूर्ख की, स्त्रियों की, केकड़े की, मछलियों की, नील की और शराब पीने वाले की पकड़ एक ही होती है।" महादेव के कंठ में विष जैसे रंग वाले तथा तमाल वृक्ष जैसी कांति वाले उस जीव को देखकर सिंह, बाघ तथा भेड़िये इत्यादि वनचर डर से घबरा कर फौरन इधर-उधर भागने लगे और कहने लगे, "इसका स्वभाव और बल क्या है , इसका हमें पता नहीं , इसलिए हमें दूर भागना चाहिए।" कहा भी है"जिसकी चेष्टा, कुल तथा बल, जानने में न आया हो उसका विश्वास अपना कल्याण चाहने वाले बुद्धिमान को नहीं करना चाहिए।" चंडरव ने भी इन जानवरों को घबराया जानकर कहा, "अरे जानवरो तुम सब क्यों मुझे देखते ही डरकर भाग रहे हो ? डरो मत । ब्रह्मा ने खुद मुझे बनाकर कहा है , 'जानवरों के बीच कोई राजा नहीं है, इसलिए
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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