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________________ पूर पञ्चतन्त्र "बड़ी, छोटी और मझले कद की मछलियां खाने के बाद अत्यन्त लालच से केकड़े को पकड़ने के कारण कोई बगला मारा गया ।" कौई ने कहा, "यह कैसे ?" सियार कहने लगा are और केकड़े की कथा -- किसी देश में तरह-तरह के जलचरों से भरा हुआ एक बड़ा तालाब था। वहाँ रहने वाला एक बगला बूढ़ा हो जाने से मछलियाँ मारने में असमर्थ हो गया। इससे भूख के मारे रुंधे गले से तालाब के किनारे बैठकर वह जारजार रोते हुए मोती की तरह अपने आँसुओं से जमीन भिगोने लगा । इतने में एक केकड़ा अनेक जलचरों के साथ उसके पास आकर और उसके दुःख से दुखी होकर कहने लगा, “मामा ! आज तुम खाते क्यों नहीं ? आँखों में आँसू भरकर साँस लेते हुए बैठे क्यों हो?" उसने कहा, "वत्स ! तूने खूब भांपा | मैंने मछली खाने से वैराग्य के कारण आमरण अनशन किया है । इसीलिए मैं पास आई मछलियां नहीं खाता ।" यह सुनकर केकड़े ने कहा, “आपके इस वैराग्य का क्या कारण है ?” उसने कहा, " वत्स ! मैं इसी तालाब में बड़ा हुआ । मैंने यह सुना है कि करीब बारह वर्ष यहाँ पानी नहीं बरसेगा।” केकड़े ने कहा, “तुमने यह कहां सुना ?” बगला बोला, " ज्योतिषी के मुख से । शकट शनी, रोहिणी को भेदकर शुक्र और मंडाल के आगे बढ़ने वाले हैं। वराह मिहिर ने कहा है, कि “यदि शनीचर आकाश में रोहिणी शकट को भेद दे तो बारह वर्ष तक पृथ्वी पर इन्द्र पानी नहीं बरसाते । और भी "रोहिणी शकट के भेदे जाने के बाद, पृथ्वी मानों पाप करने के बाद भस्म और हड्डी के टुकड़ों से व्याप्त कापालिक व्रत धारण करती हुई लगती है । और भी " शनी, मंगल अथवा चन्द्र अगर रोहिणी शकट को भेद डालें तो
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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