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________________ २६२ पञ्चतन्त्र पैर इतने मुलायम कैसे हैं ?" राक्षस ने कहा, “मेरा यह प्रण है कि गीले पैर मैं जमीन पर नहीं चलूंगा।" यह सुनकर अपने छुटकारे का उपाय सोचता हुआ ब्राह्मण एक तालाब पर पहुंचा। वहां राक्षस ने कहा, "जब तक मैं नहा-धोकर और पूजा पाठ करके लौट न आऊं, तबतक तू यहां से कहीं न जाना।' उसके जाने पर ब्राह्मण ने सोचा, 'जरूर पूजा-पाठ के बाद वह मुझे खा जायगा । इसलिए मैं जल्दी से भागूं जिससे वह गीले पैर मेरे पीछे न आ सके ।' ब्राह्मण ने वैसा ही किया। व्रत टूटने के डर से राक्षस भी उसके पीछे नहीं गया। . इसलिए सब कहते हैं कि "जानकार आदमी को भी दूसरे से पूछते रहना चाहिए। बड़े राक्षस से भी पकड़े जाने पर सवाल पूछने से ब्राह्मण छूट गया।" उसकी बात सुनकर राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर पूछा, "हे ब्राह्मणो! मेरे यहां त्रिस्तनी कन्या का जन्म हुआ है। इसकी शांति का कोई उपाय है या नहीं ?" ब्राह्मणों ने कहा--- देव ! सुनिए"मनुष्य के यहां कम अथवा अधिक अंगों वाली जो कन्या पैदा होती है, वह अपने पति और शील का नाश करती है। "इनमें से भी अगर तीन स्तनों वाली कन्या अपने पिता की नजर पड़े, तो वह तुरन्त अपने पिता का नाश कर देती है, इसमें संदेह नहीं। । इसलिए इस लड़की को आपको नहीं देखना चाहिए। अगर कोई इस कन्या के साथ विवाह करे तो उसे इस कन्या को देकर देश से बाहर कर दीजिए। ऐसा करने से आपके दोनों लोक सुधरेंगे।" उनकी यह बात सुनकर राजा ने डंके की चोट पर मुनादी करा दी, "लोगो! इस त्रिस्तनी कन्या के साथ जो कोई ब्याह करेगा, उसे एक लाख सोना उसी समय मिलेगा और उसे देश भी छोड़ना पड़ेगा।" मुनादी किये हए बहुत दिन बीत गए, फिर भी उस कन्या को लेने को कोई तैयार न
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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