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________________ मित्र-भेद अब मित्र भेद नाम का पहला तंत्र आरंभ होता है, जिसका पहला श्लोक है- "वन में रहने वाले सिंह और बैल की गाढ़ी और बढ़ती हुई मित्रता दुष्ट और लालची सियार ने खतम कर डाली ।" इसके बारे में ऐसा सुना गया है-- दक्षिण जनपद में महिलारोप्य नाम का एक नगर है। वहां धर्म से पैदा की गई विपुल संपत्ति वाला वर्धमान नामक बनिये का लड़का रहता था । उसे एक रात खाट पर सोयेसोये चिंता उत्पन्न हुई -- “ खूब धन होने पर और भी धन पैदा करने का उपाय सोचना चाहिए और करना चाहिए। कहा भी है- "ऐसी कोई बात नहीं जो धन से सिद्ध न हो। इसलिए बुद्धिमान पुरुष को यत्नपूर्वक केवल धन की साधना करनी चाहिए । जिसके पास धन होता है उसे मित्र मिलते हैं, जिसके पास धन होता है उसके साथ लोग रिश्तेदारी रखते हैं, जिसके पास धन होता है वह संसार में मनुष्य कहलाता है और जिसके पास धन होता है वह पंडित कहलाता है । "न वह विद्या है न वह दान है, न वह शिल्प है न कला है, जिसे
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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