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________________ बैत ब्रह्मा, शिव, कार्तिकेय, विष्णु, वरुण, यम, अग्नि, इन्द्र, कुबेर, चन्द्र, सूर्य, सरस्वती, समुद्र, युग ( कृत, त्रेता, द्वापर ), पर्वत, वायु, पृथ्वी, सर्प, सिद्ध, नदी, अश्विनी कुमार, चण्डिकादि माताओं, वेदों, यज्ञों, तीथों, यज्ञों, गणों, वसुओं, ग्रहों और मुनियों को नमस्कार । मनु, वाचस्पति, शुक्र, पराशर, व्यास, चाणक्य - ऐसे विद्वान नीतिशास्त्र - कर्त्ताओं को प्रणाम । संसार में सर्व अर्थ-शास्त्रों को देख-भालकर विष्णुशर्मा ने इस मनोहर शास्त्र को पाँच तंत्रों में बनाया । इस बारे में इस प्रकार सुना गया है- . दक्षिण जनपद में महिलारोप्य नाम का नगर है । वहां भिखमंगों के लिए कल्पवृक्ष - समान, उत्तम राजाओं की मुकुट मणियों की प्रभा से भासित चरणों वाले, सकल कलाओं में पारंगत अमरशक्ति नामक राजा थे । उसके बहुशक्ति, उग्रशक्ति और अनेकशक्ति नाम 'तीन परम मूर्ख पुत्र हुए। उन्हें पढ़ने से विमुख देख राजा ने अपने मंत्रियों को बुलाकर कहा, "देखिए, आपको पता है कि मेरे पुत्र शास्त्र - विमुख और बुद्धिरहित हैं । इन्हें देखते हुए बड़ा राज्य भी मुझे सुख नहीं देता । अथवा ठीक ही कहा है
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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