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________________ ११६ पञ्चतन्त्र कहा, “नदी के किनारे से उसे बाज झपट ले गया।" सेठ ने कहा, "अरे झूठे, कहीं बाज भी बच्चे को उठा ले जा सकता है ? तू मेरे लड़के को लौटा, नहीं तो मैं राज-दरबार में फरियाद करूंगा।" उसने कहा , “अरे सत्यवादी ! जैसे बाज लड़के को उठा नहीं ले सकता उसी तरह चूहे भी हमार भर लोहे की बनी माजू नहीं खा जा सकते। इसलिए अगर तू बालक वापस चाहता है तो मेरी तराजू लौटा दे।" इस प्रकार आपस में लड़ते-झगड़ते वे दोनों राज-दरबार में पहुंचे। वहां सेठ ने ऊंची आवाज में चिल्लाकर कहा , “अब्रह्मण्यम्! अब्रह्मण्यम् ! इस चोर ने मेरे लड़के को चुरा लिया है।" इस पर धर्माधिकारियों ने कहा, “अरे ! इस सेठ के लड़के को तू लौटा दे।" उसने कहा , “मैं क्या करूं, मैं देख ही रहा था कि नदी के किनारे से बाज लड़के को झपट ले गया।" यह सुनकर सेठ ने कहा, "अरे! तू सच नहीं कहता, क्या बाज भी बालक को उठा ले जाने में समर्थ हो सकता है ?" उसने कहा, "मेरी बात सुनिये "राजन्!जहां चूहे हजार भर की लोहे की तराजू खा जा सकते हैं वहां अगर बाज बालक को उठा ले जाय तो इसमें क्या शक है ?" उन लोगों ने कहा , “यह कैसे ?" इस पर बनिये ने सभ्यों के सामने आदि से अन्त तक सब बातें कहीं। यह सुनकर हँसकर दोनों को उन लोगों ने समझा दिया तथा एक को तराज तथा दूसरे को बालक दिलवा कर उन्हें संतोष दिया। इसलिए मैं कहता हूं कि हे राजन् ! जहां चूहे हजार भर की लोहे की तराजू खा जा सकते हैं, वहां अगर बाज बालक को उठा ले जाय तो इसमें क्या शक है ? ___इसलिए हे मूर्ख ! संजीवक के ऊपर मालिक की कृपा न सह सकने के कारण तूने यह किया है। ठीक ही कहा है "इस संसार में अधिकतर छोटे कुल वाले अच्छे कुल वाले की, बदनसीब लक्ष्मी के कृपापात्र की, कंजूस दाता की, कुटिल जन भोले आदमी की, निर्धन धनिक की, बदसूरत रूपवान की, पापी
SR No.009943
Book TitlePanchatantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishnusharma, Motichandra
PublisherRajkamal Prakashan
Publication Year
Total Pages314
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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